ठाकुरगंज नगर पंचायत, किशनगंज में सड़क निर्माण घोटाला अब कई लोगों की दिनचर्या और सुरक्षा पर असर डाल रहा है। जब BJP नेताओं ने इसकी असलियत उजागर की, तो क्षेत्र में हड़कंप मच गया। जांच में पता चला कि जहां शासन के नियम के मुताबिक सड़कों की मोटाई 8 इंच होनी चाहिए थी, वहां ठेकेदारों ने केवल 5 इंच मोटी सड़कें बना दीं। यह कोई छोटी बात नहीं है—इतनी पतली सड़कें थोड़े से बारिश या ट्रैफिक में बैठ जाएंगी।
स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ महीने पहले बनाई गई सड़कें पहले ही बैठने लगी हैं और हादसे का खतरा बढ़ गया है। कई जगहों पर तो सड़क पर गड्ढे बन गए हैं। लोग लगातार शिकायत कर रहे थे, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और इंजीनियर उनकी बात सुनने को तैयार ही नहीं दिखे।
इधर BJP नेताओं ने ठेकेदारों और पीडब्लूडी इंजीनियरों के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया है। आरोप है कि गुणवत्ता जाँच की अनदेखी जानबूझकर की गई, ताकि कमीशन और लीपापोती से जेबें भरी जा सकें। प्रशासन ने फंड तो पूरी मोटाई के हिसाब से पास किए, लेकिन जमीन पर आधा ही सामान इस्तेमाल हुआ।
अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर गुणवत्ता के मानकों की अनदेखी पर किसकी जवाबदेही तय होगी? स्थानीय पंचायत के जिम्मेदार लोग, पीडब्लूडी के इंजीनियर या निर्माण सामग्री की आपूर्ति करने वाली एजेंसी—सब एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। जनता गुस्से में है, क्योंकि उनके टैक्स के पैसों से जो सड़कें बनी हैं, वे उनके काम ही नहीं आ रहीं।
इस पूरे मामले ने निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और ईमानदारी पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। लोग अब चाहते हैं कि पूरे घोटाले की निष्पक्ष जाँच हो, दोषियों पर कार्रवाई हो और जनता को सही सड़क मिले। जब तक ऐसी घटनाओं पर सख्ती से रोक नहीं लगेगी, तब तक विकास के नाम पर पैसों की बर्बादी और जनता की परेशानियाँ खत्म नहीं होंगी।
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