जब भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 6 अक्टूबर 2025 को दिल्ली‑एनसीआर के लिए येलो अलर्ट जारी किया, तो सड़कों पर भीगते लोगों की भीड़ पहले ही शुरू हो चुकी थी। यह अलर्ट पश्चिमी व्यवधान के कारण आया, जिसने रात‑रात ही राजधानी में तेज़ बारिश और 10 km/h तक की तेज़ हवाओं का आभास दिया। मौसम विज्ञानियों का कहना है, यह वर्षा अगले दिन तक जारी रह सकती है, उसके बाद ठंडी हवा के साथ तापमान में और गिरावट आएगी।
पश्चिमी व्यवधान मूलतः यूरोप या मध्य एशिया से उठकर उत्तर‑पश्चिमी भारत की ओर बढ़ती शीतल वायु प्रणाली है। इस बार के व्यवधान में, बेतरी की नमीयुक्त हवा और बंगाल की प्रचु्र्ण मात्रा में नमी ने मिलकर एक साइक्लोनिक परिक्रमा बना दी। यही मिश्रण दिल्ली‑एनसीआर में अचानक तेज़ वर्षा का कारण बना।
"यह पहला तीव्र पश्चिमी व्यवधान है जो मोसमी मौसम के बाद आया है," कहते हैं सुरेंद्र पॉल, इंडिया मौसम विज्ञान विभाग, चंडीगढ़ के निदेशक। उनका कहना है कि यदि बंगाली हवा का प्रभाव और तेज़ होता तो बवंडर या ओले पड़ सकते थे।
दिल्ली में रात‑भर लगातार बूंदाबांदी रही। दिल्ली के प्रमुख मौसम केंद्रों ने अलग‑अलग माप लिए। सफ़दरजंग स्टेशन ने 24 घंटे में 10.3 mm बारिश दर्ज की, जबकि पालम पर 3.2 mm, लोधी रोड पर 3.7 mm और रिड्ज़ पर 1 mm गिरा। इस बारिश के कारण अधिकतम तापमान 26.5 °C तक गिर गया – यह इस महीने का सबसे कम मान है, जो 2023 में दर्ज 26.2 °C के बराबर है। न्यूनतम तापमान 20.6 °C, यानी लगभग दो डिग्री कम।
अब मौसम विभाग का अनुमान है कि 7 अक्टूबर को भी हल्की‑बारीकी बारिश रहेगी, और उसके बाद उत्तर‑पश्चिमी ठंडी हवाएँ रात‑भर तापमान को 20 °C से नीचे ले जाएँगी।
गुरुग्राम में हल्की बूंदाबांदी के साथ तापमान 25.4 °C तक गिर गया, जो पिछले दिन से 7.1 °C कम है। इसी दौरान, दक्षिण‑हरियाणा में भी हल्की बारिश लगातार बनी रही, जिससे रात के समय धुंध और हवा में नमी बढ़ी। पश्चिमी व्यवधान ने उत्तर‑हिमाचल में भी रौंदी बौछारें लाईं; कांगड़ा और चंबा जिलों में भारी बारिश की संभावना है, जबकि लाहौल‑स्पीति में बर्फबारी शुरू हो गई।
हिमाचल प्रदेश के मौसम विभाग के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव, शिमला मौसम कार्यालय के निदेशक ने कहा, "अगले दो दिनों में सभी जिलों में बिखरी हुई बूँदाबांदी रहेगी, किन्तु कांगड़ा‑चंबा में तेज़ बारिश और बवंडर की संभावना है।"
हिमाचल के साथ-साथ पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड‑लद्दाख में भी तेज़ हवाओं, गरज‑बिजली और कभी‑कभी ओले की संभावना बताई गई है।
संध्याकाल में स्काईमेट के उपाध्यक्ष महेश पावलत, वाइस प्रेसिडेंट, स्काईमेट ने कहा, "धुंध भरे आसमान ने ठंडक लाई, और बुधवार से हिमालय में नई बर्फबारी शुरू होगी। दिन के समय गर्मी थोड़ी बढ़ेगी, पर रात में तापमान गिरेगा।"
इसी दौरान, इंडियन मेट्रोलॉजिकल सेंटर के वरिष्ठ वैज्ञानिक कृष्ण कुमार मिश्र, दिल्ली के क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, "पश्चिमी व्यवधान की ताक़त अभी मध्यम है; अगर बैंगाल की हवा और तीव्र हो तो हमें बवंडर‑समान स्थितियों का सामना करना पड़ता।"
इन सब बातों के बीच, आम जनता को सलाह दी गई कि यात्रा की योजना बनाते समय मौसम अपडेट पर नज़र रखें, बारिश वाले इलाकों में जलभराव की संभावना के कारण रास्ते बंद हो सकते हैं।
अगले तीन दिनों में, यानी 8‑10 अक्टूबर तक, उत्तर‑पश्चिमी भारत में न्यूनतम तापमान 4‑5 °C गिरने की संभावना है। इस दौरान, विदर्भ (महाराष्ट्र) में भी येलो अलर्ट जारी है; नागपुर, वार्धा, गोंडिया आदि जिलों में देर‑देर तक हल्की‑मध्यम बारिश और तेज़ हवाओं की आशंका है। विशेषज्ञों ने कहा कि विदर्भ में मॉनसन की समाप्ति लगभग 10 अक्टूबर को होगी।
समग्र रूप से, इस पश्चिमी व्यवधान ने न सिर्फ दिल्ली में अस्थायी ठंडक लायी, बल्कि उत्तर‑हिमालय में नई बर्फबारी और उत्तर में तापमान गिरावट को भी तेज़ किया। इसलिए, नागरिकों को घर में रहकर अद्यतन मौसम रिपोर्ट चेक करनी चाहिए।
हल्की‑मध्यम बारिश से हल्की फ़सल को लाभ मिल सकता है, पर यदि लगातार भारी बारिश जारी रही तो पानी जमा हो कर फ़सल की जड़ें सड़ सकती हैं। विशेषज्ञों ने किसान भाइयों को खेतों के निकास को साफ रखने की सलाह दी है।
सफ़दरजंग и अन्य मापने वाले स्टेशन ने 10 mm से अधिक बारिश दर्ज की है, इसलिए प्रमुख सड़कों और मॉड-रस्तों में जलभराव की रिपोर्ट मिला है। ट्रैफ़िक जाम और कुछ क्षेत्रों में रूट प्रतिबंध की संभावना है।
IMD के अनुसार, 8‑10 अक्टूबर के बीच उत्तर‑पश्चिमी भारत में न्यूनतम तापमान 4‑5 °C तक गिरने की संभावना है, जिससे सर्दियों की ठंडक पहले ही शुरू हो जाएगी। दिल्ली‑एनसीआर में रात‑बार तापमान 20 °C से नीचे जाने की उम्मीद है।
हिमालय के ऊँचे इलाके, विशेषकर लाहौल‑स्पीति में पहले ही बर्फबारी शुरू हो चुकी है। मौसम विभाग ने कहा है कि आगामी दो‑तीन दिनों में बर्फ के परतें बढ़ सकती हैं, जिससे ट्रैकिंग और पर्वतारोहण पर असर पड़ेगा।
पश्चिमी व्यवधान हर साल मोनसन के बाद की अवधि में दो‑तीन बार आते हैं, पर इस साल का पहला व्यवधान विशेष रूप से तीव्र है। वैज्ञानिकों का कहना है, ग्लोबल वार्मिंग के कारण भविष्य में इनकी आवृत्ति और तीव्रता बढ़ सकती है।
बारिश की भीड़ ने पूरे शहर को गीला कर दिया।
इसी पश्चिमी व्यवधान के कारण ट्रैफ़िक जाम भी आधा घंटा तक बना रहा।
ड्राइवर लोग चिल्लाते हुए अपने गियर्स बदलते रहे, और सड़कों पर पानी से बाढ़ वाली राहें बन गईं।
बिजली-स्तम्भों के नीचे जमा पानी से अक्सर राहत की व्यवस्था पर असर पड़ा।
ऐसे मौसम में सार्वजनिक परिवहन पर भरोसा करना मुश्किल हो जाता है।
समय होने पर खबरों की अपडेट चेक करना जरूरी है।
एमडी ने जो येल्लो अलर्ट जारी किया है, वो सही समय पर था।
पहले से थोड़ा बोझिल मौसम था, लेकिन इस बार हवा में नमी की मात्रा बहुत अधिक थी।
गर्मियों के बाद ठंडक का असर अब साफ़ दिख रहा है, लोग कपड़े बदल रहे हैं।
मैं भी अपने घर में ही रहना पसंद करूँगा, क्योंकि बाहर बहुत फिसलन है।
साथियों, इस बारिश में अगर आप बाहर निकलना पड़े तो पक्की जूते पहनना मत भूलिए।
जल-रोधी बैकपैक या पाईजामा ले कर चलें तो थोड़ी राहत मिल सकती है।
काफी जगहों पर अभी भी पानी जमा है, इसलिए गाड़ी चलाते समय सावधानी बरतें।
घर में रहने वाले लोग बिजली कटौती की संभावना को ध्यान में रखें।
बारिश का मज़ा तो तभी है जब आप अपने भीतर का नज़रिया देख पाते हैं।
यह व्यवधान हमें बताता है कि प्रकृति के साथ हमारी लचीलापन कितनी जरूरी है।
नजदीकी खोलते हुए, मैं सोचता हूँ कि क्या हम इस हालात में अपना सुकून रख पाएँगे?
मेरे दिल में थोड़ी उदासी है, पर साथ ही एक अजीब उत्साह भी है।
जैसे कई लोग कह रहे हैं, "बावली हवा में भी खुशियों की तलाश करो"।
पश्चिमी व्यवधान की इस तीव्रता को देखते हुए, हमारे मौसमी मॉडल में कुछ नई चुनौतियाँ उभर रही हैं।
इस बार की नमी का संगम बायोमेट्रिक डेटा से भी पुष्टि होता है कि समुद्री हवाओं का क्षैतिज प्रवाह अभूतपूर्व था।
वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस तरह की प्रवाह गति को पहले केवल उत्तरी ध्रुवीय धारा में देखा गया था।
लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि ग्लोबल वार्मिंग ने वायुमंडलीय दबाव के संतुलन को बदल दिया है।
परिणामस्वरूप, दिल्ली की सड़कों पर अचानक हुई जलभराव ने लोगों को असुविधा में डाल दिया।
इस भराव के पीछे प्रमुख कारण जल निकासी प्रणाली की पुरानी डिजाइन है, जिसे जल्द ही अद्यतन करने की जरूरत है।
साथ ही, सड़कों के किनारे पर स्थापित अस्थायी जलरोधक संरचनाएँ भी इस समस्या को कम कर सकती हैं।
कृषि क्षेत्र में भी इस अनपेक्षित वर्षा का दोहरा असर दिख रहा है; हल्की बारिश से फ़सल को नमी मिलती है, पर अत्यधिक जलसे चमन पानी में डूब जाता है।
इसलिए, किसान समुदाय को सूचित करना आवश्यक है कि वे उचित जल प्रबंधन तकनीकों को अपनाएँ।
पर्यटन विभाग को भी इस मौसम परिवर्तन से आगंतुकों के लिए संभावित जोखिम का आकलन करना चाहिए।
हिमालय की बर्फबारी को देखते हुए, हाई पर्देश में ट्रैकिंग के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं।
इस मौसम के बाद, उत्तर‑पश्चिमी हवा ठंडक लेकर आएगी, जो सामान्यतः सर्दियों की शुरुआत को चिह्नित करती है।
दिल्ली में एसी की जरूरत कम हो जाएगी, पर हीटिंग डिवाइसों की मांग बढ़ेगी।
अंत में, व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए लोगों को सलाह दी जाती है कि वे जल‑रोधी जूते और छतरी साथ रखें।
समग्र रूप से, यह व्यवधान हमें पर्यावरणीय बदलावों के प्रति सतर्क रहने का एक महत्वपूर्ण सबक देता है।
वाह! ये बारिश तो बहुत ही रूमानी लग रही है 😊
क्या आप जानते हैं कि इस बारिश के पीछे कुछ छिपे हुए सैटेलाइट ग्रिड्स हो सकते हैं? सरकार ने हमें सतह के नीचे का डेटा नहीं दिया है।
बारिश के आंकड़े देख कर लगता है कि अगले दो दिन भी हल्की बूंदाबांदी रहेगी, इसलिए अपने प्लान को समायोजित कर लें।
धुंध और बारिश का मिश्रण शहर को रोमांटिक बना देता है 🌧️✨
मैं अक्सर इस तरह की अचानक बारिश में अकेले चलना पसंद करती हूँ, पर इस बार सड़कों के जलभराव से बचना पड़ेगा।
ये मौसम तो बिल्कुल वैदिक युग की गाथा जैसा है, पूरे शहर में जल-धारा बह रही है!
इसी तरह के व्यवधान के बाद अक्सर अस्थायी बिजली कटौती होती है, इसलिए जेनरेटर की तैयारी कर लेनी चाहिए।
बादलों की मालिका देखकर मेरा मन खुश हो गया, लेकिन जलभराव की खबर सुनकर थोड़ा चिंतित हूँ।
मैंने देखा कि कई लोग मैटरनल कनेक्शन को बंद कर रहे हैं, शायद जल-रोधी फर्नीचर खरीद रहे हैं।
यह आयोजन बहुत ही दिलचस्प है, क्योंकि पश्चिमी व्यवधान जैसी घटनाओं में हमें कई परस्पर जुड़ी हुई प्रक्रियाओं को समझने का मौका मिलता है।
पहले तो यह स्पष्ट है कि वायुमंडलीय दाब में अचानक गिरावट ने बादलों को शीघ्रता से नीचे लाया।
इसके साथ ही, बेंगल जलवायु के प्रभाव ने इस प्रणाली को और अधिक सघन बना दिया, जिससे वर्षा का दक्षिणी दिशा में प्रवाह बढ़ गया।
भू-आकृतिक विश्लेषण दर्शाता है कि दिल्ली‑एनसीआर की निचली-ऊंची भूभागें पानी को बिखेरने की बजाय एकत्र करने की प्रवृत्ति रखती हैं।
यह जलभराव का मुख्य कारण है, और भविष्य में इसको कम करने के लिए जल निकासी की योजना बनाना आवश्यक है।
साथ ही, इस वर्षा ने नगर पालिका की सड़कों की मजबूती को भी चुनौती दी, जिसके लिए हम सभी को सामूहिक रूप से रहना चाहिए।
मैं सुझाव दूँगा कि स्थानीय निकाय जल्द से जल्द जल-निचली नालियों को साफ़ करे, ताकि फिर से ऐसी स्थिति न बनना पड़े।
साथ ही, नागरिकों को भी स्वयं के क्षेत्र में जल जमाव को साफ़ रखने में सहयोग देना चाहिए।
अंत में, यह मौसम हमें याद दिलाता है कि प्रकृति हमें जीत नहीं देती, बल्कि हम उसके साथ तालमेल बैठाकर ही आगे बढ़ सकते हैं।
बारिश के दौरान जब मैं घर के बाहर बैठा था, तो मैंने देखा कि सड़क किनारे के पेड़ बहुत भगी हुए थे; यह दृश्य बहुत ही शान्तिमय था।
सभी को नमस्ते, इस मौसम में सामाजिक दूरी बनाए रखना और अपने घर के आसपास सफाई रखना अधिक महत्वपूर्ण है।
बड़ी बारिश में गाड़ी चलाते समय स्टीयरिंग में हाथ मजबूत रखना चाहिए, नहीं तो गाड़ी स्लिप कर सकती है।
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, हमें अपने दैनिक जीवन में सतर्कता और तैयारी दोनों को साथ रखना चाहिए।