जब डोनाल्ड ट्रम्प, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति, ने 19 सितंबर, 2025 को नया प्रेसिडेंशियल प्रोक्रेमेशन जारी किया, तो भारतीय तकनीकी पेशेवरों की सांसें थम गईं। यह घोषणा H‑1B फाइलिंग शुल्क को सौ हजार डॉलर तक बढ़ा रही थी – अब तक की सबसे महंगी आवेदन प्रक्रिया। उसी समय यू.एस. सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) ने FY 2025‑26 के लिए रजिस्ट्रेशन में 26.9 % की गिरावट दर्ज की, यानी 470,342 से घट कर 343,981 हो गई। इस बदलाव ने भारतीय छात्रों और इंजीनियरों के लिए नई असुरक्षा पैदा कर दी, पर साथ ही F‑1 और L‑1 वीज़ा के रास्ते भी खुले।

परिवर्तन की पृष्ठभूमि: ट्रम्प के ‘Buy American, Hire American 2.0’ का विस्तार

जनवरी 2025 में ट्रम्प ने ‘Buy American, Hire American 2.0’ को फिर से सक्रिय किया, जिससे H‑1B नीति में आक्रमण तेज़ हो गया। मार्च में डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने ‘ऑपरेशन फ़ायरवॉल’ शुरू किया, एक संयुक्त कार्रवाई जिसमें डिपार्टमेंट ऑफ लेबर (DOL) और इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनेबलमेंट (ICE) भी शामिल थे। जून में USCIS ने 2019 के बाद से सर्वोच्च स्तर पर ‘Request for Evidence (RFE)’ जारी किए, और अक्टूबर में DOL ने LCA (Labor Condition Application) ऑडिट का दायरा बढ़ा दिया।

नया शुल्क और उसकी आर्थिक असर

नया $100,000 फाइलिंग शुल्क केवल नए आवेदकों पर लागू होता है और इसे “एकबारगी खर्च” कहा गया, पर वास्तविकता में यह छोटे‑मध्यम कंपनियों को H‑1B कार्यक्रम से बाहर कर सकता है। कई टेक स्टार्ट‑अप्स ने पहले ही कहा कि वे अब विदेशी प्रतिभा को हाई‑पे बैनर के तहत नहीं रख पाएँगे, और इसके बजाय ऑफ‑शोर टीमों को बढ़ावा देंगे। इस पर रामगोपाल राव, समूह उप-कुलपति, बीआईटीएस पिलानी के, ने कहा: “इसी कारण है कि अब प्रभाव ‘तुरंत’ नहीं, बल्कि ‘बहुत लंबे समय तक’ महसूस होगा।”

भारतीय शैक्षणिक संस्थानों का प्रतिक्रिया

आईआईटी (Indian Institutes of Technology) और बीआईटीएस पिलानी दोनों ने रिपोर्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय ऑफ़र पहले 5‑10 % प्लेसमेंट का हिस्सा होते थे। अब यह प्रतिशत घट सकता है, क्योंकि कई छात्र अब H‑1B के बजाय F‑1 (स्टूडेंट वीज़ा) या L‑1 (इन्ट्राकंपनी ट्रांसफर) पर ध्यान दे रहे हैं। एक छात्र ने कहा, “मेरे पास दो विकल्प बचे हैं – या तो यू.एस. में पढ़ाई जारी रखूँ, या फिर अपने परिवार के साथ भारत लौट कर स्थानीय बाजार में काम करूँ।”

वैकल्पिक वीज़ा विकल्प: F‑1 और L‑1 की आस

जब H‑1B का खर्च बढ़ता है, तो F‑1 वीज़ा (शिक्षा) और L‑1 वीज़ा (कंपनी के भीतर स्थानांतरण) का महत्व बढ़ जाता है। कई अमेरिकी कंपनियां अब अपने भारतीय कर्मचारियों को L‑1 वीज़ा के तहत पदोन्नत कर रही हैं, जिससे वे सीधे यू.एस. में काम कर सकें। इसके अलावा, F‑1 वीज़ा धारकों को OPT (Optional Practical Training) के तहत दो साल तक काम करने की अनुमति मिलती है, जो कई भारतीय ग्रेजुएट्स के लिए एक सेतु बन रहा है।

भविष्य की राह: 2026 की मेरिट‑बेस्ड लॉटरी और संभावित बदलाव

भविष्य की राह: 2026 की मेरिट‑बेस्ड लॉटरी और संभावित बदलाव

DHS ने दिसंबर 2025 में 2026 H‑1B लॉटरी के लिए एक प्रस्तावित नियम प्रकाशित किया, जहाँ अब ‘मेरिट‑बेस्ड सिलेक्शन’ लागू होगा। इसका मतलब है कि केवल योग्यता के आधार पर चयन होगा, न कि रैंडम ड्रॉ पर। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से उच्च शिक्षा को पूरा करने वाले तकनीकी विशेषज्ञों को प्राथमिकता मिलेगी, पर साथ ही यह छोटे‑पैमाने के स्टार्ट‑अप्स को और बाहर कर सकता है।

मुख्य बिंदु

  • President Donald Trump ने $100,000 की H‑1B फाइलिंग फीस लागू की।
  • FY 2025‑26 के लिए H‑1B पंजीकरण 26.9 % गिरकर 343,981 हो गया।
  • ‘ऑपरेशन फ़ायरवॉल’ के तहत USCIS, DOL और ICE ने कड़ी जांच शुरू की।
  • फ़िलिंग शुल्क छोटे व्यवसायों को H‑1B से बाहर कर सकता है।
  • F‑1 और L‑1 वीज़ा अब भारतीय पेशेवरों के मुख्य विकल्प बन रहे हैं।

FAQs

H‑1B शुल्क में वृद्धि भारतीय छात्रों को कैसे प्रभावित करेगी?

सौ हजार डॉलर की नई फीस छोटे‑मध्यम अमेरिकी कंपनियों को भारतीय उम्मीदवारों को नियुक्त करने से हतोत्साहित करेगी। परिणामस्वरूप कई छात्र अब F‑1 या L‑1 वीज़ा विकल्प चुनेंगे, जिससे यू.एस. में उनकी कार्यस्थल पहुँच में देरी या परिवर्तन होगा।

ऑपरेशन फ़ायरवॉल का मुख्य उद्देश्य क्या है?

यह एक संयुक्त इंजेनरिंग पहल है, जिसमें DHS, DOL और ICE मिलकर H‑1B नियोक्ताओं की लेबर कंडीशन एप्लिकेशन (LCA) की जांच कर रहे हैं, ताकि ‘स्पेशलिटी ऑक्यूपेशन’ के दुरुपयोग को रोका जा सके।

क्या भारतीय आईटी कंपनियों पर इसका कोई प्रभाव पड़ेगा?

भारी शुल्क के कारण अमेरिकी क्लाइंट्स अपना काम ऑफ‑शोर या आऊटसोर्सिंग की ओर मोड़ सकते हैं, जिससे भारत के आयएर एग्जीक्यूटिव सप्लाई चेन में बदलाव आएगा और संभावित रूप से नौकरियों की संख्या घट सकती है।

2026 की मेरिट‑बेस्ड लॉटरी से कौन लाभान्वित होगा?

उच्च शैक्षणिक योग्यता वाले टेक प्रोफेशनल्स को प्राथमिकता मिलेगी, जबकि कम जटिल भूमिकाओं के लिए मांग घटेगी। यह कदम ट्रम्प प्रशासन के ‘कौशल‑आधारित’ इमिग्रेशन फोकस को दर्शाता है।

यदि मैं पहले से H‑1B पर हूँ तो नया शुल्क लागू होगा?

वर्तमान वैध H‑1B स्टेटस वाले व्यक्तियों को इस नई फीस का भुगतान नहीं करना पड़ेगा, बशर्ते वे अपने स्टेटस को लगातार बनाए रखें और नई पेटीशन न भरें।

टिप्पणि (16)

santhosh san
  • santhosh san
  • अक्तूबर 6, 2025 AT 02:39 पूर्वाह्न

हां, ये नया $100,000 का शुल्क भारत के टेक बेबीज के लिए पूरी तरह से दर्द भरी खबर है। छोटे स्टार्ट‑अप्स की खिड़कियों से अवसर का झर्का निकल रहा है। सरकार की इस अद्भुत नीति ने हमें फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि किस देश की नौकरी हमारी असली मंजिल है। अब छात्रों को दो रास्तों में से चुनना पड़ेगा, या तो पढ़ाई जारी रखनी है या फिर घर लौटना है। यही नहीं, बड़े कंपनियों की भी नौकरियों में कमी देखी जा रही है।

Jocelyn Garcia
  • Jocelyn Garcia
  • अक्तूबर 9, 2025 AT 05:39 पूर्वाह्न

ड्रॉप करने वाली फीस से कई युवा दिल तोड़ रहे हैं, पर याद रखो कि सहनशीलता ही हमारी ताकत है। F‑1 या L‑1 विकल्पों को अपनाकर आप अपने करियर को नई दिशा दे सकते हैं। हर बाधा के पीछे एक अवसर छिपा होता है, बस उसे पहचानना होता है। इस बदलाव से सीख लेकर आगे बढ़ें, सफलता फिर भी आपके कदम चूमेगी।

Sagar Singh
  • Sagar Singh
  • अक्तूबर 12, 2025 AT 08:39 पूर्वाह्न

वाह क्या बात है ये! नया शुल्क तो एकदम बवाल है लेकिन हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए क्योंकि भारत के पास भी बहुत टैलेंट है बस सही प्लेटफ़ॉर्म चाहिए इसे दिखाने के लिए

somiya Banerjee
  • somiya Banerjee
  • अक्तूबर 15, 2025 AT 11:39 पूर्वाह्न

भाई, ये ट्रम्प की नई नीति हमारे भारतीय पेशेवरों को सीधे निशाना बना रही है। हम अपनी मेहनत की कीमत नहीं कमाने देंगे। देश की असली ताकत वही है जो कठिनाइयों में भी आगे बढ़े। आज नहीं तो कभी नहीं, हमें अपनी संभावनाओं को फिर से परखा होगा।

subhashree mohapatra
  • subhashree mohapatra
  • अक्तूबर 18, 2025 AT 14:39 अपराह्न

आपके समर्थन वाले शब्द अभी भी कई लोगों को प्रेरित कर सकते हैं, पर आँकड़े दिखाते हैं कि 100k फीस से छोटे स्टार्ट‑अप्स बहुत नुकसान उठाएंगे। इस नीति में आर्थिक विषमता का स्पष्ट असर है, जो संभावित टेक प्रतिभा को वैकल्पिक रास्तों की ओर धकेलेगा। यह केवल एक अस्थायी झटका नहीं, बल्कि दीर्घकालिक नुकसान का कारण बन सकता है।

ajay kumar
  • ajay kumar
  • अक्तूबर 21, 2025 AT 17:39 अपराह्न

बहुत सिस्टमिक इशू है, छोटो‑बड़ो कंपनियों के लिए रियल प्रॉब्लम।

Soundarya Kumar
  • Soundarya Kumar
  • अक्तूबर 24, 2025 AT 20:39 अपराह्न

मैं देख रहा हूँ कि कई छात्र अब अपनी पढ़ाई को F‑1 वीज़ा के माध्यम से जारी रख रहे हैं, जिससे उनका प्रोफेशनल नेटवर्क बनता है। साथ ही L‑1 ट्रांजिशन भी आसान हो रहा है, खासकर उन कंपनियों में जो भारत में बड़ी उपस्थिति रखती हैं। यह बदलाव हमें नई संभावनाओं के द्वार खोल रहा है, लेकिन हमें अभी भी सही मार्ग चुनना होगा।

Minal Chavan
  • Minal Chavan
  • अक्तूबर 27, 2025 AT 23:39 अपराह्न

संबंधित अधिकारीयों ने इस नीति के दीर्घकालिक प्रभावों का विश्लेषण करने हेतु विस्तृत अध्ययन किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि छोटे एवं मध्यम आकार के उद्यमों पर इसका बुनियादी आर्थिक दबाव बढ़ेगा, जबकि बड़ी कंपनियों को लाभ मिल सकता है।

Rajesh Soni
  • Rajesh Soni
  • अक्तूबर 31, 2025 AT 02:39 पूर्वाह्न

ट्रम्प की नई फीस को देखते हुए, हम एक क्लासिक केस स्टडी के सामने खड़े हैं जहाँ एज्जिनल टैक्स इम्पैक्ट का विश्लेषण आवश्यक हो जाता है। यू.एस. इमिग्रेशन पॉलिसी के इस दायरे में, कस्टमर एग्जिक्यूशन मॉड्यूल का रिस्क एन्हांसमेंट स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।

Nanda Dyah
  • Nanda Dyah
  • नवंबर 3, 2025 AT 05:39 पूर्वाह्न

उपरोक्त विश्लेषण में कुछ बिंदु अनदेखे रह गए हैं। विशेषकर, खर्च का प्रोपोर्शनलिटी इंडेक्स को पुनः समायोजित करना आवश्यक है। इसके अलावा, नीति के प्रभाव का डिफ़ॉल्ट मॉडलिंग अभी भी अनुमानों पर आधारित है, जिससे सटीकता में कमी आती है।

vikas duhun
  • vikas duhun
  • नवंबर 6, 2025 AT 08:39 पूर्वाह्न

यह नया शुल्क हमारे देश की प्रतिभा को पश्चिमी महाशक्तियों से कूटनीतिक रूप से अलग कर रहा है। अब हमें अपनी धरती पर ही अवसर बनाने की जरूरत है, नहीं तो विदेशी कंपनियां हमें अपनी जगह परही ले जाएँगी। इस नीति का उद्देश्य सिर्फ मुनाफा बढ़ाना नहीं, बल्कि एंटी‑इमिग्रेशन का भी है। यह एक चेतावनी है कि हमें अपनी आर्थिक स्वावलंबन को मज़बूत करने की आवश्यकता है।

Nathan Rodan
  • Nathan Rodan
  • नवंबर 9, 2025 AT 11:39 पूर्वाह्न

देखिए, इस संदर्भ में हमें दो पहलुओं को समझना चाहिए। एक ओर, नई फीस से छोटे स्टार्ट‑अप्स को बहुत बड़ा बोज़ उठाना पड़ेगा, जिससे इन्नोवेशन थ्रॉटल हो सकता है। दूसरी ओर, बड़े प्लेयर इस व्यय को आसानी से वहन कर सकते हैं और अपने मार्केट शेयर को बढ़ा सकते हैं। इस दुविधा को सॉल्व करने के लिए सरकार को एक स्लाइडिंग स्केल फीस मॉडल अपनाना चाहिए, जिससे सभी वर्गों को लाभ मिले। अंत में, हमारी प्रमुख ताकत है हमारे युवा इंजीनियर्स की क्वालिटी, जो चाहे किसी भी फ़ॉर्मेट में काम करें, दुनिया को प्रभावित कर सकती है।

KABIR SETHI
  • KABIR SETHI
  • नवंबर 12, 2025 AT 14:39 अपराह्न

अगर आप सोच रहे हैं कि यह केवल अमेरिकी नीति है, तो आप थोड़ा भ्रमित हैं। इस बदलाव का असर वैश्विक स्तर पर नौकरी बाजार को पुनर्संरचना करेगा, और भारत को भी नई रणनीतियों के साथ तालमेल बिठाना पड़ेगा।

tanay bole
  • tanay bole
  • नवंबर 15, 2025 AT 17:39 अपराह्न

वास्तव में, नीति में बदलाव का विस्तृत प्रभाव अध्ययन अभी अधूरा है।

Arjun Dode
  • Arjun Dode
  • नवंबर 18, 2025 AT 20:39 अपराह्न

भाई लोग, अब हम सबको एक साथ मिलकर इस नई फीस के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए! साथियों, आशा है कि हम कुछ नया रास्ता निकाल पाएँगे। चलो, सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ते हैं।

Mayank Mishra
  • Mayank Mishra
  • नवंबर 21, 2025 AT 23:39 अपराह्न

हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हम इस परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाते हुए अपने प्रोफेशनल स्किल्स को अपग्रेड करें। वैकल्पिक वीज़ा जैसे F‑1 और L‑1 को समझना और उनका सही उपयोग करना अब अनिवार्य हो गया है। हमें अपने करियर प्लान को लचीलापन देना चाहिए, ताकि भविष्य में आए किसी भी नीति परिवर्तन से हम सुरक्षित रहें।

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