जीडीपी वृद्धि का मतलब है कि देश की कुल वस्तुएं और सेवाएँ कितनी तेज़ी से बढ़ रही हैं। जब जीडीपी बढ़ता है तो कामकाज, निवेश और सरकार की आय बढ़ने की उम्मीद होती है। पर क्या हर बार बढ़ोतरी का मतलब अच्छा है? नहीं — इसलिए समझना ज़रूरी है कि ये संख्या किस आधार पर आती है और किस तरह प्रभावित करती है।
जीडीपी वृद्धि के पीछे कुछ साफ कारण होते हैं। निजी खपत (लोगों का खर्च), निवेश (फैक्ट्रियाँ, मशीनरी, इन्फ्रास्ट्रक्चर), सरकारी खर्च और एक्सपोर्ट—ये चार बड़े स्तंभ हैं। मानसून अच्छा रहा तो कृषि मदद करता है, मोबाइल और सेवाएँ तेज़ी से बढ़ें तो सेवाक्षेत्र का योगदान बढ़ता है। कभी-कभी एक सेक्टर (जैसे निर्माण) में तेजी कुल बढ़ोतरी को आगे बढ़ा देता है।
ध्यान रखें: नाममात्र (nominal) जीडीपी और वास्तविक (real) जीडीपी में फर्क होता है। वास्तविक जीडीपी महंगाई को निकालकर बताता है असली विकास कितना हुआ। साल-दर-साल (YoY) या क्वॉर्टर-ऑन-क्वॉर्टर (QoQ) रिपोर्ट देखकर असल रुझान समझना होता है।
सबसे पहले नौकरी: तेज़ वृद्धि से आम तौर पर रोजगार के मौके बढ़ते हैं, खासकर निर्माण और सर्विस सेक्टर में। पर यह ऑटोमैटिक नहीं; अगर ग्रोथ निवेश पर नहीं टिकती तो रोज़गार नहीं बढ़ेगा।
दूसरा, महंगाई और ब्याज़ दरें। अगर बढ़ोतरी तेज़ है और मांग बढ़ रही है तो महंगाई भी बढ़ सकती है। ऐसे में रिजर्व बैंक ब्याज़ दरें बढ़ा सकता है, जिससे EMIs और लोन महँगे होंगे।
तीसरा, निवेश का असर। इक्विटी मार्केट अक्सर सकारात्मक जीडीपी प्रोजेक्शन पर अच्छा प्रदर्शन करता है, जबकि बांड की दरें और सोने की कीमतें अलग तरह से प्रतिक्रिया कर सकती हैं। छोटा निवेशक क्या करे? लंबे समय के लक्ष्य और महंगाई को ध्यान में रखकर निर्णय लें।
चौथा, आपकी क्रय शक्ति। अगर वेतन महंगाई से पीछे छूटे तो असली जीवन स्तर प्रभावित होगा, भले ही जीडीपी आंकड़ा अच्छा दिखे।
जांचें कौन रिपोर्ट कर रहा है: सरकार (MOSPI), RBI, IMF या World Bank — हर स्रोत की पद्धति थोड़ी अलग हो सकती है।
ट्रैक करने के आसान तरीके: मासिक GST संग्रह, PMI नंबर, बैंक क्रेडिट ग्रोथ, IIP और रोजगार रिपोर्ट्स देखें। ये छोटे संकेत देते हैं कि आने वाले क्वॉर्टरों में जीडीपी क्या कर सकती है।
अंत में, यूज़र के लिए छोटा टिप: जब कोई बड़ा जीडीपी नंबर आए, तो सिर्फ प्रतिशत पर विश्वास न करें—देखिए कौन सा सेक्टर बढ़ा, और inflation-adjusted नजरिये से परिणाम पर बात करें। भरोसेमंद खबरों और विशेषज्ञों की व्याख्या पढ़ना ज़्यादा मददगार रहेगा। कला समाचार पर जीडीपी और आर्थिक खबरों के अपडेट नियमित रूप से मिलते हैं, ताकि आप फैसले समझ कर ले सकें।
संसद का बजट सत्र 22 जुलाई 2024 को शुरू हुआ। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी, इसके बाद 23 जुलाई को लोकसभा में 2024-25 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। यह तीसरी बार है जब मोदी सरकार बजट पेश करेगी। आर्थिक सर्वेक्षण में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5-7% बताई गई है।