हरियाणा हाई कोर्ट ने डेरा प्रमुख और उनके सहयोगियों को किया बरी

हरियाणा हाई कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह और उनके चार करीबी सहयोगियों को 2002 के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में बरी कर दिया है। रंजीत सिंह की हत्या 10 जुलाई 2002 को हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के खानपुर कोलियां गांव में हुई थी। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि इस हत्या के पीछे साजिश थी जिसका निर्देशन गुरमीत राम रहीम ने किया था।

रंजीत सिंह की हत्या और उसके पीछे की कहानी

यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब रंजीत सिंह को गोलियों से भूना गया। यह आरोप था कि गुरमीत राम रहीम सिंह को शक था कि रंजीत सिंह के कारण ही एक गुमनाम पत्र डेरा में महिलाओं के यौन शोषण के बारे में फैला था। सीबीआई ने भी इस मामले में अपने जांच को आगे बढ़ाते हुए राम रहीम सिंह और अन्य चार आरोपियों के खिलाफ मजबूत सबूत पेश किए थे।

सीबीआई कोर्ट का फैसला और हाई कोर्ट का अलग रुख

सीबीआई कोर्ट का फैसला और हाई कोर्ट का अलग रुख

सीबीआई की विशेष अदालत ने अक्टूबर 2021 में गुरमीत राम रहीम सिंह और चार अन्य को इस मामले में दोषी करार दिया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, हरियाणा हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ सबूतों की जांच के बाद सभी को बरी कर दिया। यह फैसला अपने आप में महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे डेरा के अनुयायियों के बीच एक नई ऊर्जा का संचार हो सकता है।

डेरा का प्रभाव और राजनीतिक परिदृश्य

डेरा सच्चा सौदा न केवल एक धार्मिक संगठन है, बल्कि इसके अनुयायियों का एक बड़ा राजनीतिक प्रभाव भी है। पंजाब में खासकर मालवा क्षेत्र में डेरा के अनुयायियों की संख्या काफी बड़ी है। इसके अलावा, हरियाणा में भी डेरा के अनुयायियों का भाजपा के प्रति समर्थन रहा है। पिछले लोकसभा चुनावों में भी डेरा ने भाजपा को समर्थन दिया था, खासकर सिरसा में जहाँ डेरा का मुख्यालय स्थित है।

गुरमीत राम रहीम सिंह की वर्तमान स्थिति

गुरमीत राम रहीम सिंह की वर्तमान स्थिति

गुरमीत राम रहीम सिंह वर्तमान में दो महिला अनुयायियों के बलात्कार के मामले में 20 साल की सजा काट रहे हैं और रोहतक के सुनारिया जेल में बंद हैं। इस नए फैसले के बाद उनके खिलाफ अन्य मामलों की स्थिति पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि इस फैसले के बाद उनकी सजा में कोई छूट दी जाएगी या नहीं।

भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ

इस फैसले के बाद डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों में एक नया जोश देखने को मिल सकता है। संगठन के प्रभाव और प्राथमिकताओं में भी परिवर्तन आ सकता है। वहीं, सरकार और कानून व्यवस्था को भी इस मामले के बाद नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

तेज़ी से टिप्पणी करना

श्रेणियाँ

टैग