भारत में पहली बार MPOX Clade 1 का मामला प्रकाश में आया है। यह मामला केरल के मलप्पुरम जिले से है, जहां 38 वर्षीय व्यक्ति इस खतरनाक वायरस से संक्रमित पाया गया है। यह व्यक्ति हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात से यात्रा करके लौटा था। वर्तमान स्थिति में इस मरीज की हालत स्थिर बताई जा रही है।
यह पहली बार है जब भारत में MPOX Clade 1 स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। इससे पहले देश में पश्चिम अफ्रीकी Clade 2 स्ट्रेन के मामले सामने आए थे। राजधानी दिल्ली में हरियाणा के हिसार निवासी 26 वर्षीय युवक का मामल भी सामने आया था।
MPOX, जिसे पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था, एक गंभीर बीमारी है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2022 में अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था। तब से लेकर अब तक भारत में कुल 30 मामले दर्ज किए गए हैं।
Clade 1b स्ट्रेन की मृत्यु दर लगभग 3% है, जो Clade IIb वर्शन (2022 में रिपोर्ट) की 0.2% मृत्यु दर से अधिक है। यहां तक कि थाईलैंड में भी अगस्त में Clade 1b स्ट्रेन का पहला मामला सामने आया था। उक्त मामला एक 66 वर्षीय यूरोपीय व्यक्ति से संबंधित था जो एक अज्ञात अफ्रीकी देश से बैंकॉक आया था।
MPOX वायरस एक दुर्लभ और गंभीर वायरल बीमारी है, जिसे मॉनकेपॉक्स वायरस के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी आमतौर पर जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। हालांकि, यह संक्रमित व्यक्ति से दूसरों में फैल सकती है। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, लिम्फ नोड्स का सूजन और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं।
यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है, विशेष रूप से कमजोर लोगों और उन लोगों के लिए जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है। Clade 1b स्ट्रेन की उच्च मृत्यु दर के कारण, इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
केंद्र और राज्य सरकारें इस मामले को गंभीरता से ले रही हैं। स्वास्थ्य विभाग ने संबंधित क्षेत्रों में जांच और निगरानी कड़ी कर दी है। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों का परीक्षण किया जा रहा है और उन्हें अलग भी किया जा रहा है।
सरकार ने लोगों से सतर्क रहने का अनुरोध किया है और किसी भी संदिग्ध लक्षण दिखाई देने पर तुरंत स्वास्थ्य सेवाओं से संपर्क करने का निर्देश दिया है।
स्वास्थ्य विभाग न केवल मामलों की निगरानी कर रहा है बल्कि वह आम जनता को भी इस बीमारी के बारे में जागरूक कर रहा है। विभिन्न माध्यमों से जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ताकि लोग इस बीमारी के लक्षणों की पहचान कर सकें और समय पर उपचार प्राप्त कर सकें।
इस बीमारी को रोकने के लिए जनसामान्य को भी जिम्मेदारी से कार्य करने की आवश्यकता है। जागरूकता और समय पर उपचार ही इसका सही और प्रभावी तरीका है। आइए हम सब मिलकर इस बीमारी के खिलाफ लड़ें और अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
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