जब बात लैंडस्लाइड, भू सतह का अचानक ढहना, जो भारी वर्षा, भूकंप या मानवीय हस्तक्षेप से प्रेरित हो सकता है, भूस्खलन की आती है, तो दो बातें समझना ज़रूरी है – पहला, यह किससे जुड़ा है, और दूसरा, हम इसे कैसे रोक सकते हैं। यहाँ लैंडस्लाइड को समझाने के लिए हम चार मुख्य घटकों को देखेंगे: भूकंप, धरती की सतह में तीव्र कंपन जो मिट्टी की बंधन शक्ति को कमजोर कर देता है, बाढ़, अधिक जल स्तर जो मिट्टी को भिगो देता है, जिससे ढलानों की स्थिरता घटती है, भूविज्ञान, पृथ्वी की संरचना और प्रकार, विशेषकर चट्टानों का गठान और उनकी जलीय अवस्था और अंत में आपदा प्रबंधन, जोखिम मूल्यांकन, चेतावनी प्रणाली और राहत कार्य को समन्वित करने की प्रक्रिया। इन सबका तालमेल लैंडस्लाइड की संभावनाओं को बढ़ाता या घटाता है। उदाहरण के तौर पर, जब दिल्ली‑एनसीआर में 6 अक्टूबर को पश्चिमी व्यवधान ने भारी बारिश लाई, तो आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में छोटे‑छोटे ढलानों ने फिसलना शुरू कर दिया, जिससे सड़कों पर गाड़ी चलाना मुश्किल हो गया। इसी तरह गुजरात में ऑरेंज अलर्ट के दौरान तेज़ वर्षा ने कई गांवों में जमीन ढहाना शुरू कर दिया, जबकि भूविज्ञानिक अध्ययन ने बताया कि बंजर और क्षय‑ग्रस्त चट्टानें इस जोखिम के लिए सबसे संवेदनशील हैं।
लैंडस्लाइड सिर्फ जमीन का ढहना नहीं, बल्कि इसके साथ मानवीय मृत्यु, संपत्ति क्षति और बुनियादी ढांचे का नुकसान भी जुड़ा रहता है। पिछले पाँच वर्षों में भारत में करीब 2,300 लैंडस्लाइड घटनाएं दर्ज हुई हैं, जिनमें से लगभग 15 % में बड़ी हताहतियां हुई हैं। यह आँकड़े दिखाते हैं कि चेतावनी प्रणाली और पूर्व तैयारी कितनी जरूरी है। सबसे पहले, स्थानीय भूविज्ञानिक सर्वे करना चाहिए – कौन से इलाकों में कमजोर चट्टानें हैं, कौन से क्षेत्रों में जल निकासी खराब है। इसके बाद, सटीक मौसम अनुमान के आधार पर बाढ़‑सचेतनता जारी करनी चाहिए, क्योंकि कई लैंडस्लाइड भारी बारिश के बाद ही फटते हैं। स्मार्ट सेंसर्स, उपग्रह इमेजरी और ड्रोन सर्वेक्षण अब रियल‑टाइम डेटा प्रदान कर रहे हैं, जिससे क्षति का पूर्वानुमान लगाना आसान हो गया है। कुछ राज्य ने GIS‑आधारित जोखिम मानचित्र बनाकर उन क्षेत्रों में निर्माण को प्रतिबंधित किया है। साथ ही, वनों की कटाई को रोकना, विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में, मिट्टी को जड़ें लगाता है और उसकी स्थिरता बढ़ाता है। सामुदायिक स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम, जैसे कि "भू-सतह सुरक्षा" वर्कशॉप, लोगों को शुरुआती चेतावनी पहचानने और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने की सिखाते हैं। एक और पहल है आपदा प्रबंधन की – राज्य एवं स्थानीय एजेंसियों को एकीकृत कमांड सेंटर स्थापित करना चाहिए, जहाँ रीयल‑टाइम मौसम डेटा, भूविज्ञानिक रिपोर्ट और स्थानीय रिपोर्टिंग को एक साथ लाया जा सके। इससे बचाव दल जल्दी पहुंच बना सकते हैं और प्राथमिक उपचार शुरू कर सकते हैं। ये कदम मिलकर लैंडस्लाइड की घटनाओं को नियंत्रित करने में मदद करेंगे।
अब आप जान चुके हैं कि लैंडस्लाइड क्यों होते हैं, किन कारकों से उनका जोखिम बढ़ता है, और किन आधुनिक तकनीकों व सामुदायिक उपायों से इसे रोका जा सकता है। नीचे हम आपको ताज़ा समाचार लेख, विशेषज्ञों की राय, और सुरक्षा गाइड्स की एक चयनित सूची देंगे, जिससे आप अपने क्षेत्र की सुरक्षा को और बेहतर बना सकेंगे। इस जानकारी के साथ आप न केवल खुद को बल्कि अपने पड़ोसियों को भी संभावित आपदा से बचा सकते हैं। आगे पढ़ें और जाने कि वर्तमान में भारत में लैंडस्लाइड से जुड़े कौन‑से प्रमुख अपडेट और सलाह उपलब्ध हैं।
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