पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा: भव्यता और धार्मिकता का संगम

पुरी के मुख्य मंदिर से जुड़ी जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत होते ही भक्ति और उल्लास का माहौल बन गया है। हर साल की तरह इस साल भी हज़ारों भक्तों ने पुरी में मौजूद द्वारिका पीठ से गुंडिचा मंदिर तक अपने प्रिय भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को खींचने का कार्य किया। आनंद और धार्मिकता की यह यात्रा प्रतिवर्ष भक्तों को आत्मिक शांति और आस्था की अनुभूति देती है।

रथ खींचने की रस्म: विराट श्रद्धालुओं की सहभागिता

इस वर्ष के रथ यात्रा का मुख्य आकर्षण रहा महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का निवास। उन्हें तीनों रथों का 'परिक्रमा' करते और भगवान के आगे नतमस्तक होते देखा गया। इस अवसर पर ओडिशा के महामहिम राज्यपाल रघुबर दास, मुख्यमंत्री मोहन चरण माजही, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और विरोधी दल के नेता नवीन पटनायक ने भी रथ खींचकर धार्मिक अनुष्ठान में भाग लिया। यह धार्मिक कार्यक्रम न केवल भारत बल्कि समूचे विश्व के भक्तों का केंद्र बिन्दु बन चुका है।

अनुष्ठान और संस्कार

रथ यात्रा के महत्व को समझना हो तो यह जानना जरूरी है कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को खींचने से पहले तीन घंटे का 'पाहंडी' अनुष्ठान किया गया, जो 2:15 बजे पूरा हुआ। इसके बाद भगवान को उनके विशाल रथों पर विराजमान किया गया। गुंडिचा मंदिर तक पहुँचने की इस यात्रा के दौरान भक्तों को 'जय जगन्नाथ' और 'हरिबोल' के उलेमाओं के साथ-साथ ढोल-नगाड़ों, शंख और घंटियों की ध्वनियाँ भी सुनाई दीं। इन स्वरों ने पूरे धार्मिक वातावरण को और भी पवित्र बना दिया।

नृत्य और संगीत का संगम

भारतीय संस्कृति के विभिन्न रंग भी इस महायात्रा में देखने को मिले। स्थानीय और विदेशी कलाकारों ने 'कीर्तन' और ओडिसी नृत्य की प्रस्तुतियों से भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हर साल करोड़ों भक्त इस यात्रा का हिस्सा बनते हैं, जिसमें वे भगवान की महिमा का गान करते हैं और नृत्य के माध्यम से अपनी आध्यात्मिक भावनाएँ प्रकट करते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण अनुष्ठान

अन्य महत्वपूर्ण अनुष्ठान

यात्रा के दौरान 'मंगला आरती' और 'मेलाम' जैसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान संपन्न हुए, जो भक्तों को भगवान के दिव्य दर्शन का अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं। इस वर्ष, ज्योतिषीय व्यवस्था के कारण, रथ यात्रा का आयोजन केवल दो दिनों तक ही सीमित रहा। प्रयत्न किया गया कि सभी महत्वपूर्ण अनुष्ठानों को एक ही दिन में संपन्न किया जा सके, जिसमें 'नबजौबन दर्शन' और 'नेत्र उत्सव' जैसे आयोजन शामिल थे।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

इतने विशाल आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए थे। करोड़ों की संख्या में जुटने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और सुरक्षाबल तैनात थे। यह सुनिश्चित किया गया कि सभी भक्त सुरक्षित रहें और धार्मिक अनुष्ठान बिना किसी व्यवधान के पूरा हो सके।

समापन में, यह स्पष्ट है कि जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रत्यक्ष प्रमाण है। विविधता और एकता का यह संगम न केवल उड़ीसा, बल्कि पूरे भारत के लिए विशेष महत्व रखता है। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार अधिक भक्तों की सहभागिता देखी गई, जो इस महान यात्रा के प्रति लोगों के बढ़ते उत्साह को दर्शाता है।

टिप्पणि (19)

PRAVIN PRAJAPAT
  • PRAVIN PRAJAPAT
  • जुलाई 8, 2024 AT 13:12 अपराह्न

लगता है सब लोग सिर्फ शॉर्टकट देख रहे हैं असली भावना को तोड़ते हुए इस रथ यात्रा का असली मकसद नहीं समझा रहा कोई

shirish patel
  • shirish patel
  • जुलाई 15, 2024 AT 11:52 पूर्वाह्न

वाह रथ खींचते हुए दिमागी थकावट का बक्षीस मिल गया, क्या उत्सव है!

srinivasan selvaraj
  • srinivasan selvaraj
  • जुलाई 22, 2024 AT 10:32 पूर्वाह्न

पूरी रथ यात्रा का हिसाब किताब जैसे किसी प्राचीन महाकाव्य की तरह बुनता है, जहाँ हर ध्वनि में इतिहास का गूँज है।
ध्वनि‑ध्वनि में गूंजती शंख की आवाज़, ताली की थाप, और झंकार जैसे भावनाओं के सागर को उभारती है।
नज़रें जब रथ के पहिए पर टिकती हैं तो मन में एक अज्ञात शक्ति का अहसास होता है।
इस शक्ति को शब्दों में बांध पाना कठिन है, परन्तु उस एहसास को महसूस करना हर श्रद्धालु का अधिकार है।
राष्ट्र के प्रत्येक कोने से आये भक्तों का संगम, विविधता में एकता की प्रतिमूर्ति बन जाता है।
जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा के देवताओं की महिमा गूंजती है जब रथों की छटा दिखती है।
वहां की भीड़ में हर चेहरा एक कहानी कहता है-कुछ आशा की, कुछ दुविधा की, पर सभी में एक ही भावना।
रथ खींचते समय जो आँसू बहते हैं, वे केवल शारीरिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक भी होते हैं।
जैसे ही रथ धीरे‑धीरे आगे बढ़ता है, समय भी धीरे‑धीरे थम जाता है।
बाजू में बजता ढोल, कानों में बजता शंख, दिल में बजता विश्वास-यह सब मिलकर एक अद्भुत सिम्फनी बनाते हैं।
इस सिम्फनी में कभी कभी राजनीति की धुन भी मिश्रित हो जाती है, परन्तु आध्यात्मिकता उसे हमेशा पछाड़ देती है।
बच्चे-बच्चियों की मुस्कान, बुज़ुर्गों का आशीर्वाद, और युवाओं का उत्साह-सभी का मिलन इस यात्रा को विशेष बनाता है।
स्थानीय कलाकारों का संगीत, विदेशी कलाकारों की प्रस्तुति, और धार्मिक अनुष्ठान-इन सबका समावेश इस यात्रा को विविधता से भर देता है।
अंत में, रथ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का जीवंत उदाहरण है, जो हमें अपने मूल मूल्यों की याद दिलाता है।

Ravi Patel
  • Ravi Patel
  • जुलाई 29, 2024 AT 09:12 पूर्वाह्न

बहुप्रतीक्षित यह यात्रा हर साल नई ऊर्जा लेकर आती है, सभी को शुभकामनाएँ

Piyusha Shukla
  • Piyusha Shukla
  • अगस्त 5, 2024 AT 07:52 पूर्वाह्न

सभी लोग वैभव देख रहे हैं पर असली प्रश्न यह है कि क्या इसमें आध्यात्मिक गहराई है

Shivam Kuchhal
  • Shivam Kuchhal
  • अगस्त 12, 2024 AT 06:32 पूर्वाह्न

आप सभी को इस पावन यात्रा की हार्दिक शुभकामनाएँ, यह आयोजन हमारे सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है

Adrija Maitra
  • Adrija Maitra
  • अगस्त 19, 2024 AT 05:12 पूर्वाह्न

जैसे ही रथ आगे बढ़ता है, दिल में एक अनकहा उत्सव जागता है, दिल से सबका धन्यवाद

RISHAB SINGH
  • RISHAB SINGH
  • अगस्त 26, 2024 AT 03:52 पूर्वाह्न

रथ यात्रा में भाग लेना एक प्रेरणादायक अनुभव है, आप सभी को बधाई

Deepak Sonawane
  • Deepak Sonawane
  • सितंबर 2, 2024 AT 02:32 पूर्वाह्न

सिंहावलोकन के दृष्टिकोण से देखें तो इस आयोजन में लघु‑वित्तीय पहलुओं का विश्लेषण आवश्यक है; लागत‑लाभ समीकरण स्पष्ट नहीं है

Suresh Chandra Sharma
  • Suresh Chandra Sharma
  • सितंबर 9, 2024 AT 01:12 पूर्वाह्न

अगर आप रथ यात्रा की टाइमटेबल या ट्रांसपोर्ट की जानकारी चाहते हैं तो मैं मदद कर सकता हूँ, बस पुछो यार

sakshi singh
  • sakshi singh
  • सितंबर 15, 2024 AT 23:52 अपराह्न

पूरे भारत में इस तरह की यात्रा बहुत कम ही देखी जाती है, और यह पवित्रता का प्रतीक है।
जगन्नाथ के रथ को खींचने की प्रक्रिया में श्रद्धा और समर्पण की गहरी भावना झलकती है।
भक्तों की भागीदारी न केवल धार्मिक उत्सव को बड़ा बनाती है, बल्कि सामाजिक एकता को भी पुष्ट करती है।
सुरक्षा से जुड़ी व्यवस्थाएँ कड़ी हैं, जिससे सभी को सुरक्षित अनुभव मिलता है।
रेल्वे, बस और निजी वाहन की उपलब्धता यात्रियों के लिये सुविधाजनक बनाती है।
पूरी यात्रा में संगीत, नृत्य और कला का समावेश इसे और भी आकर्षक बनाता है।
आखिरकार, इस प्रकार की घटनाएँ हमारे सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखती हैं।

Hitesh Soni
  • Hitesh Soni
  • सितंबर 22, 2024 AT 22:32 अपराह्न

एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इस प्रकार के धार्मिक समारोह अक्सर सामाजिक विविधता को अभिव्यक्त करने का साधन बनते हैं, परन्तु अक्सर गहन विश्लेषण की कमी रहती है; इसके प्रभाव को मात्र भावनात्मक स्तर पर ही नहीं आंकना चाहिए;

rajeev singh
  • rajeev singh
  • सितंबर 29, 2024 AT 21:12 अपराह्न

यह यात्रा भारतीय सांस्कृतिक परम्परा का अभिन्न भाग है, जहाँ विभिन्न परिप्रेशनों का संगम देखने को मिलता है; इस प्रकार के आयोजन राष्ट्रीय अभिमान को बढ़ावा देते हैं।

ANIKET PADVAL
  • ANIKET PADVAL
  • अक्तूबर 6, 2024 AT 19:52 अपराह्न

हमारा देश अपनी आध्यात्मिक विरासत पर गर्व करता है, और इस रथ यात्रा जैसे कार्यक्रम इससे यह सिद्ध होते हैं; यह न केवल धार्मिक आध्यात्मिकता को उजागर करता है, बल्कि राष्ट्रीय एकता को भी सुदृढ़ करता है, जिससे हमारी पहचान और स्पष्ट होती है।

Shivangi Mishra
  • Shivangi Mishra
  • अक्तूबर 13, 2024 AT 18:32 अपराह्न

रथ यात्रा का रोमांच असली मनोबल को जगाता है!

ahmad Suhari hari
  • ahmad Suhari hari
  • अक्तूबर 20, 2024 AT 17:12 अपराह्न

Is rath yatra is great, everyone shoud love it. It s truely magnificant.

shobhit lal
  • shobhit lal
  • अक्तूबर 27, 2024 AT 15:52 अपराह्न

भाई लोग, मैं तो कहूँगा कि इस रथ को खींचने का सही तरीका मैंने खुद ही खोजा है, सबको बताऊँ?

suji kumar
  • suji kumar
  • नवंबर 3, 2024 AT 14:32 अपराह्न

रथ यात्रा, जिससे हर वर्ष लाखों लोग भाग लेते हैं!; यह एक अद्भुत सामाजिक, सांस्कृतिक, तथा आध्यात्मिक समागम है; इस यात्रा में ध्वनियों का मिश्रण, रंगों की चमक और लोगों की विविधता एक साथ मिलकर एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है।

Ajeet Kaur Chadha
  • Ajeet Kaur Chadha
  • नवंबर 10, 2024 AT 13:12 अपराह्न

ओह, रथ खींचने वाला कार्यक्रम, कितना रोमांचक... सच में नहीं!

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