भारतीय क्रिकेट टीम के ख्यातिप्राप्त बल्लेबाज केएल राहुल ने पांच साल के लंबे अंतराल के बाद रणजी ट्रॉफी में अपनी वापसी की। यह मुकाबला कर्नाटक और हरियाणा के बीच एम चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु में खेला गया। हालांकि, उनका यह मैच वह उतना यादगार नहीं बना सके जितनी उम्मीद उनसे की जा रही थी। 37 गेंदों में 26 रन बनाकर उन्होंने चार शानदार चौके तो लगाए, परंतु हरियाणा के प्रभावशील गेंदबाज अंशुल कांबोज की एक स्पष्ट गेंद ने राहुल की पारी का अंत कर दिया।
हरियाणा के लिए अंशुल कांबोज इस पूरे सीजन में बढ़िया फॉर्म में रहे हैं, और इस मैच में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। राहुल को आउट करके उन्होंने एक बार फिर साबित किया कि वह किसी भी बल्लेबाजी क्रम को चुनौती देने में सक्षम हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांबोज अपनी इस फॉर्म को पूरे टूर्नामेंट तक बरकरार रखते हैं।
राहुल की जल्दी आउट होने के बावजूद, कर्नाटक के लिए यह दिन शानदार रहा। टीम ने अच्छे स्कोर खड़े करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ओपनिंग बल्लेबाज केवी अनीश और मयंक अग्रवाल ने 45 रन की ठोस पार्टरनरशिप से शुरुआत की। मयंक अग्रवाल ने अपने दमदार शॉट्स के चलते बड़े-बड़े छक्के और चौके लगाते हुए 48वें ओवर तक मैदान पर बने रहे, जहां उन्हें अनुज ठाकुर ने आउट कर दिया।
21 वर्षीय प्रतिभाशाली बल्लेबाज रानीचंद्रन स्मरण, जिन्होंने पंजाब के खिलाफ पिछले मैच में दोहरा शतक जड़ा था, देवदत्त पडिक्कल के साथ क्रीज पर आए। उन्होंने सशक्त बल्लेबाजी करते हुए कर्नाटक के स्कोर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
दिन का खेल जब समाप्त हुआ, तब केएल श्रीजीत (18*) और यशोवर्धन परंतप (27*) ने छठे विकेट के लिए बिना आउट हुए 45 रन की साझेदारी की और कर्नाटक का स्कोर 267/5 बना। यह साझेदारी टीम के लिए संतोषजनक रही, और देखने वालों को उत्सुकता रही कि किस प्रकार यह युवा बल्लेबाज अपने योगदान को जारी रखते हैं।
मैच का संचालन स्वारूपानंद कन्नूर और अजितेश के अर्गल ने किया, जबकि तीसरे अंपायर के रूप में विनीत कुलकर्णी मौजूद थे। मैच रेफरी की भूमिका में शक्तिसिंह थे।
कर्नाटक और हरियाणा के बीच यह मुकाबला क्रिकेट प्रेमियों के लिए रोमांचक साबित हो रहा है। खिलाड़ियों के प्रदर्शन और टीम की रणनीतियां इस टूर्नामेंट में आगे क्या मोड़ लेंगी, यह देखने योग्य रहेगा।
वाह, 26 रन में ही सेरेना बन गया राहुल।
रहमान के आँसू इस मैदान में धुँधले होते दिख रहे हैं क्योंकि हमारे हीरो केएल राहुल की पारी एकदम टूटकर बिखर गई।
जैसे ही अंशुल कांबोज ने वह शॉट मार रखा, ऐसा लगा जैसे रोशन चाँद पूरी तरह अँधेरा हो गया।
दोस्ती और उम्मीदों की फुहारें अब तपते हुए धुआँ बन गईं।
वह 26 रन, चार चौके, लेकिन 37 गेंदों में ही सब कुछ ख़त्म हो गया।
विश्वास के तारे तोड़‑फोड़ की इस कहानि में अचानक धुंध में बदल गए।
जड़ता की इस रात में हमारे दिलों ने कई सवाल उठाए।
क्योंकि एक बार निराशा की इस चिंगारी ने हमारे दिलों को जला दिया।
परन्तु यह भी सच है कि क्रिकेट में सपने कभी नहीं मरते।
हमें यह सीखना चाहिए कि हार तो सिर्फ़ अस्थायी है।
वास्तविक जीत तो वही है जो डगमगाते कदमों के बाद फिर उठती है।
आइए इस क्षण को एक ज्वाला बना दें जिससे नई आशा जल उठे।
भले ही वह शॉट ने राहुल को बाहर कर दिया, लेकिन टीम ने अपना दिल नहीं छोड़ा।
हरियाणा के अंशुल ने अपनी फॉर्म दिखा दी, पर कर्नाटक ने अपने सामर्थ्य को दिखाया।
क्रिकेट की इस सुंदरता में यही बारीकी है।
आगे का रास्ता उज्ज्वल है, बस हमें अपनी उम्मीदें फिर से जगा लेनी होंगी।
राहुल का अगला आवर्तन तब तक नीरस नहीं रहेगा जब तक हम सब उसके साथ हैं।
रनजी ट्रॉफी में अनुभव का फायदा है राहुल को आगे सुधारना चाहिए
वास्तव में इस खेल में अंशुल को इतना सराहा नहीं जाना चाहिए क्योंकि हर कोई अपना रोल निभा रहा है और एक व्यक्ति से सबकी काबिलियत नहीं मापी जा सकती
केएल राहुल को शुभकामनाएँ, आशा है कि अगली पारी में वह अपनी क्षमता प्रदर्शित करेंगे।
देखते रहो, क्रिकेट का मज़ा यही तो है, कभी‑कभी गिरना भी कहानी बन जाता है।