कभी-कभी लगता है उम्र सिर्फ एक नंबर है, और Jonty Rhodes इस बात की जीती-जागती मिसाल हैं। IML 2025 में South Africa Masters और Australia Masters के मैच में Rhodes ने जो कमाल कर दिखाया, वो देखने लायक था। 55 साल की उम्र में भी वे मैदान पर उसी फुर्ती और ऊर्जा के साथ दौड़ते दिखे, जैसी उनके सुनहरे दिनों में दिखती थी।
ऑस्ट्रेलिया की पारी का 19वां ओवर चल रहा था। Shane Watson क्रीज पर जम चुके थे और एक जोरदार ड्राइव खेली। गेंद लग रहा था कि सीधे बाउंड्री पार कर जाएगी, लेकिन तभी Jonty Rhodes अपनी जगह से बिलकुल चीते की फूर्ति से दाईं ओर भागे, छलांग लगाई और पूरे शरीर को हवा में फैला दिया। उनकी फील्डिंग देखकर स्टेडियम में बैठे हर दर्शक के चेहरे पर हैरानी और खुशी दोनों झलकने लगी।
Rhodes के इस डाइव ने गेंद को बाउंड्री पार जाने से रोक दिया। इस अद्भुत प्रयास को देख कमेंटेटर्स तक बोल पड़े कि उम्र उनके लिए कभी मायने नहीं रखी। फैंस सोशल मीडिया पर उनकी तुलना फिर से 90 के दशक के 'सुपरमैन' रोड्स से करने लगे। मैदान पर बाकी खिलाड़ी भी एक पल के लिए संतुलन भूल बैठे।
Australia Masters ने पहले बैटिंग करते हुए Watson के शानदार शतक के दम पर 260 रन बना डाले। South Africa Masters की टीम बैटिंग में खास जादू नहीं दिखा पाई और सिर्फ 123 रन पर ढेर हो गई। स्कोरकार्ड भले ही एकतरफा रहा, लेकिन मैच का सबसे बड़ा हीरो वही लम्हा था जब 55 के Rhodes ने मैदान पर बार-बार अपनी मौजूदगी से फैंस का दिल जीत लिया।
ये पहली बार नहीं है; इस टूर्नामेंट में इंडिया के खिलाफ भी Rhodes ने एक जबरदस्त कैच पकड़कर दिखाया था कि उनके रिफ्लेक्स और फिटनेस में उम्र कोई रुकावट नहीं। मैदान के हर कोने में वे ऐक्टिव दिखे, कभी आउटफील्ड में डाइव, कभी सीधी थ्रो—ऐसे कई लम्हे हर मैच में यादगार बनते गए।
आज भी उनकी फिटनेस युवा खिलाड़ियों को इंस्पिरेशन देती है। वो बता देते हैं कि लगन और जुनून हो तो 55 साल की उम्र में भी मैदान पर वही जोश कायम रखा जा सकता है। अब देखना होगा कि IML के बाकी मुकाबलों में Rhodes और कौन सा अजूबा करने वाले हैं।
जोंटी रॉड्स ने फिर साबित किया कि उम्र सिर्फ आंकड़ा है हमें मेहनत से बेज़ोड़ बनना चाहिए असली फील्डिंग के लिए निरंतर जमीनी प्रशिक्षण और स्ट्रेचिंग मदद करती है उनके जैसे लोगों से सीखना फायदेमंद है बैठते‑बैठते फिटनेस नहीं रख पाते इसलिए अपने वॉर्म‑अपने रूटीन में तेज़ी लाएं रोज़ाना छोटी‑छोटी ड्रिल्स करके रिफ्लेक्स बढ़ाएं
जोंटी के जैसे फुर्ती को बनाए रखने के लिए मैं अपने तेज़ ट्रेडमिल सत्र में साइड‑स्टेप्स जोड़ता हूँ ये सिम्पल मूवमेंट रिफ्लेक्स को तेज़ करता है साथ ही कोऑर्डिनेशन भी बढ़ता है ऐसे छोटे बदलाव खेल में बड़ा फर्क ला सकते हैं
ये डाइव देख कर मोबाइल से स्क्रीन नहीं बंद कर पाना 😆 सच में सुपरमैन जॉनटी 😂
जोंटी रॉड्स का यह डाइव न केवल व्यक्तिगत फिटनेस का परिणाम है बल्कि उनके पुराने सत्रों की डेटा‑ड्रिवन एनालिसिस का भी प्रमाण है।
उन्होंने पिछले पाँच वर्षों में अपने हृदय गति मॉनिटर को हर महीने अपडेट किया है जिससे लैक्टेट थ्रेशोल्ड बढ़ा है।
उनके स्पीड‑एंड‑एगिलिटी ट्रेनिंग में प्रोग्रेसिव ओवरलोड और टेढ़े‑मेढ़े शटल रन को शामिल किया जाता है।
यह रूटीन पैर की इम्पैक्ट फोर्स को बेहतर बनाता है और फील्डिंग में तेज़ क्लासिक कूद के लिए आवश्यक फॉर्म टाइम को कम करता है।
साथ ही उन्होंने पिलेट्स और योग को अपनी रेजिमेन में अंतर्सभ्य किया है जिससे कोर स्ट्रेंथ में 30 % सुधार आया है।
कोर की स्थिरता के बिना हाई‑एयर डाइव की सटीकता संभव नहीं होती और जोंटी ने इस बात को कई मौसम में सिद्ध किया है।
उन्होंने अपना बॉडी कंपोजिशन हर क्वार्टर में बायोइम्पेडेंस स्केल से मापा है और बॉडी फ़ैट प्रतिशत को 12 % से नीचे रखा है।
इस कम वेस्टेज रेट ने उनकी एरोबिक कैपेसिटी को बढ़ाकर मेटाबोलिक इफ़िशिएंसी में इज़ाफ़ा किया है।
जोंटी की स्ट्रेंथ ट्रेनेर ने बताया कि उन्होंने हाइपरट्रॉफ़ी कॉन्सेप्ट को लागू कर हाई‑रेप बैक स्क्वाट और डेडलिफ्ट को 8 सेट्स में किया है।
इस तरह की रेजिस्टेंस ट्रेनिंग से न्यूरो‑मस्क्यूलर कनेक्शन में तेजी आती है जो फील्डिंग के छोटे‑छोटे मूवमेंट को सपोर्ट करता है।
उन्होंने अपने डाइट में ओमेगा‑3 फिश ऑइल, क्विनोआ और एंटीऑक्सिडेंट‑रिच बेरीज़ को शामिल किया है जिससे मसल रिकवरी तेज़ होती है।
इसके अलावा उन्होंने इन्फ्रारेड सॉना और एंटी‑इंफ़्लेमेटरी सॉप प्रयोग में लाया है जिससे सूजन कम होती है और जॉइंट लचीलापन बना रहता है।
जोंटी की एथलेटिक लाइफस्टाइल को समझकर युवा खिलाड़ी अब हाई‑इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग को रोज़ के वर्कआउट में शामिल कर रहे हैं।
इस दिशा में कई अकादमी ने उनके ट्रैनिंग मॉड्यूल को कॉपी किया है और इसे यूथ डिवीजन में लागू किया है।
कुल मिलाकर यह डाइव केवल रोमांच नहीं बल्कि विज्ञान‑आधारित एथलेटिक प्रोसस का ठोस उदाहरण है जिसका हर खेल प्रेमी को अनुसरण करना चाहिए।
वो सिर्फ उम्र नहीं बल्कि कोचिंग की कमी भी है।
जोंटी की फील्डिंग देखकर मेरा दिल धड़कन को रेस की तरह तेज़ हो गया 😭🔥🏏✨