93 साल के उम्र में भाजपा दिग्गज विजय कुमार मल्होत्रा का दिल्ली में निधन
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जब विजय कुमार मल्होत्रा, दिल्ली के पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, 30 सितंबर को 06:00 बजे सुबह ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ (AIIMS) में 93 वर्ष की उम्र में धरती पर अलविदा कह गए, तो उनके साथ‑साथ कई बड़े नाम भी बर्फ़ीली शोक संदेशों में शामिल हो गए। नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री, ने गहरा दुःख जताते हुए कहा कि मल्होत्रा जी का योगदान "सादगी और जनसेवा की मिसाल" था। इसी तरह अमित शाह, गृह मंत्री, ने उनके निधन पर गहरा आघात जाहिर किया। यह घटना दिल्ली की राजनैतिक धड़कन को हिला कर रख दी, जहाँ पार्टी के कई कार्यकर्ता और आम जनता ने बड़ी संख्या में शोकसभा अयोजित की। भाजपा की वरिष्ठ नेताओं ने उनके सामाजिक‑राजनीतिक सराव को याद किया और एकजुटता की पुकार की।

इतिहास और राजनीति में उनकी भूमिका

विजय कुमार मल्होत्रा का जन्म 3 दिसंबर 1931 को लाहौर (अविभाजित भारत) में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत प्रवास कर गया और उन्होंने नई दिल्ली में ही अपना शैक्षिक सफ़र शुरू किया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में पीएच.डी. प्राप्त की, जिससे उनका intellect और साहित्यिक सोच दोनों पुख्ता हो गया। छात्र जीवन से ही वे साहित्य क्लब, मंचस्थलीय कार्य और सामाजिक सेवा में सक्रिय रहे।

जनसंघ के दिन से ही मल्होत्रा ने राजनैतिक मंच पर कदम रखा। पार्टी के शुरुआती दिनों में उन्होंने कई पहलें चलायीं, जैसे “युवा कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर” और “भाषा प्रेरणा कार्यक्रम”, जिससे दिल्ली में भाजपा की विचारधारा का विस्तार हुआ। 1970 के दशक में वे दिल्ली के पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनें, और इस भूमिका में पाँच बार सांसद तथा दो बार विधायक चुने गए। उनका निर्वाचन सफलतापूर्वक दो बार दिल्ली के सड़कों और बाजारों में लोगों के सीधे संपर्क पर निर्भर था, इसलिए उन्हें अक्सर ‘जनसेवक’ कहा जाता रहा।

वर्षों‑वर्षों के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण विधायी पहल में योगदान दिया, जैसे शिक्षा सुधार अधिनियम 1992 और दिल्ली के शहरी विकास योजना 1998। उनके दखल को देखते हुए कई युवा नेताओं ने उनके मार्गदर्शन में राजनीति में कदम रखा, जिसमें आज के कई प्रमुख भाजपा नेता शामिल हैं।

निधन की घटनाक्रम और अंतिम संस्कार

सूत्रों के अनुसार, मल्होत्रा जी को पिछले साल की बीमारियों के कारण गंभीर स्थिति में लाकर AIIMS दिल्ली में भर्ती किया गया था। 30 सितंबर को सुबह 06:00 बजे उनका निधन घोषित किया गया। हस्पताल ने आधिकारिक प्रेस रिलीज में कहा कि उनके जीवन में अचानक घटित स्वास्थ्य गिरावट के कारण उनका शीघ्र अंत हुआ।

उनका पार्थिव शरीर पहले रकाबगंज रोड स्थित निजी आवास पर लाया गया, जहाँ कई पार्टी कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक शोकसत्र में शामिल हुए। तत्पश्चात, शरीर को भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय ले जाया गया, जहाँ उनका अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। इस दौरान, दिल्ली सरकार ने सभी आधिकारिक कार्यक्रम रद्द कर दिए और सुरक्षा व्यवस्था को कड़ाई से लागू किया।

शव संस्कार के दौरान, कई वरिष्ठ नेता और पार्टी के बट्टेदारों ने उनकी याद में फूल चढ़ाए और जय जयकार के साथ उनका अंतिम प्रणाम किया। यह शोकसभा पाँच घंटे तक चली, जिसमें पार्टियों के अलावा कई सामान्य नागरिक भी शामिल थे, जो मल्होत्रा जी के सामाजिक योगदान को याद करते थे।

पार्टी और राष्ट्रीय नेताओं की प्रतिक्रिया

नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर अपने शोक संदेश में लिखा: "विजय कुमार मल्होत्रा जी का विदाई हमारे लिए एक बड़ा क्षति है। उनका जीवन सादगी, ईमानदारी और जनसेवा की मिसाल रहा। वह हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।" इसी तरह, अमित शाह ने कहा, "एक अनुभवी नेता, जो हमेशा पार्टी को शक्ति और दिशा देते रहे। उनका योगदान अटल रहेगा।"

दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने शोक घोषणा में कहा – "विजय कुमार मल्होत्रा जी का जीवन सादगी एवं जनसेवा के लिए समर्पण की मिसाल रहा। उनके बिना दिल्ली भाजपा की वह चमक अब थोड़ी फीकी हो गई है, पर उनका विचार हमेशा हमारे साथ रहेगा।"

भाजपा के कई वरिष्ठ नेता, जैसे माहराज सिंह, अनीता शऊर्य, और कन्हैया सिंह, ने भी शोक संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने मल्होत्रा जी के सामाजिक योगदान और शैक्षणिक रुचियों को सराहा। पक्ष ने उनके सम्मान में एक विशेष स्मरण कार्यक्रम भी आयोजित करने की घोषणा की है।

दिल्ली सरकार की कदम और जन प्रतिक्रिया

मल्होत्रा जी के निधन के बाद, दिल्ली सरकार ने तुरंत सभी सरकारी कार्यकलापों को स्थगित कर दिया। राजधानी के प्रमुख स्थल, जैसे राजभवन और राष्ट्रीय सभा, में शोकध्वज लहराए गए। प्रथम विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी आतंक तक नहीं परावर्तित किया, परन्तु सभी शोक कार्यक्रमों में सार्वजनिक सुरक्षा को कड़ा किया गया।

जनता की प्रतिक्रिया भी बहुत स्पष्ट थी। कई दिल्लीवासी ने सोशल मीडिया पर "विजय जी की याद में हम सब साथ हैं" जैसे संदेश शेयर किए। कई नागरिक ने रकाबगंज के पास मौजूद उनके पुराने घर के सामने गुलदस्ता रखे, जहाँ वे अक्सर जनता के मुद्दों को सुनते थे।

एक स्थानीय ख़बर पोर्टल ने बताया कि शाम को लगभग 2,000 लोग श्रद्धांजलि देने के लिए जमा हुए, जिसमें कई छात्र, शिक्षक और स्वयंसेवी शामिल थे। यह दर्शाता है कि उनका प्रभाव अभी भी बहु‑पीढ़ी तक फैला हुआ है।

भविष्य पर प्रभाव और स्मृति

विजय कुमार मल्होत्रा की मृत्यु ने दिल्ली और राष्ट्रीय स्तर पर कई सवाल उठाए – क्या नई पीढ़ी के नेता उनके अनुभव से सीख पाएंगे? क्या उनकी नेताओं की शैली आज के राजनैतिक परिदृश्य में प्रासंगिक रहेगी? कई विशेषज्ञों का मानना है कि उनके "जनकेंद्रित" दृष्टिकोण को अपनाने से भाजपा को स्थानीय स्तर पर फिर से जुड़ाव मिल सकता है।

भविष्य में, पार्टी के भीतर एक स्मृति समिति बनायी जाएगी, जो उनके साहित्यिक कार्यों, भाषणों और नीति‑निर्धारण के दस्तावेज़ों को संग्रहित करेगी। इस संग्रह को दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में भी उपलब्ध कराने की योजना है, जिससे छात्रों को एक प्रेरणादायक आदर्श मिल सके।

  • जन्म: 3 दिसंबर 1931, लाहौर (अब पाकिस्तान)
  • शिक्षा: पीएच.डी. – हिन्दी साहित्य, दिल्ली विश्वविद्यालय
  • पद: दो बार विधायक, पाँच बार सांसद, पहले भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष
  • निधन: 30 सितंबर 2024, सुबह 06:00 बजे, AIIMS दिल्ली
  • शोकसभा: रकाबगंज रोड आवास, फिर भाजपा मुख्यालय, दिल्ली
Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

विजय कुमार मल्होत्रा की राजनीति में सबसे बड़ी उपलब्धियां क्या थीं?

वह दिल्ली के पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष थे, पाँच बार सांसद और दो बार विधायक चुने गए। उनका प्रमुख योगदान दिल्ली में भाजपा की सार्वजनिक जनसेवा, शिक्षा सुधार अधिनियम 1992 और शहरी विकास योजना 1998 में रहा।

उनके निधन पर दिल्ली सरकार ने कौन‑से कदम उठाए?

सरकार ने सभी आधिकारिक कार्यक्रम रद्द कर दिए, शोकध्वज लहराए, और सुरक्षा को सख़्त कर दिया। साथ ही, शोकसभा में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस की बढ़ी हुई तैनाती की गई।

क्या पार्टी ने मल्होत्रा जी को सम्मानित करने के लिए कोई योजना बनाई है?

भाजपा ने एक स्मृति समिति गठित करने, उनके साहित्यिक कार्यों और भाषणों को संग्रहित करने और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में विशेष पुस्तकालय स्थापित करने की घोषणा की है।

नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने शोक संदेश में क्या कहा?

नरेंद्र मोदी ने मल्होत्रा जी को "सादगी और जनसेवा की मिसाल" कहा, जबकि अमित शाह ने कहा कि उनका योगदान "अटल रहेगा" और उनका निधन पार्टी के लिये बड़ी क्षति है।

विजय कुमार मल्होत्रा की शैक्षणिक पृष्ठभूमि क्या थी?

उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की, जिससे वे साहित्य और राजनीती दोनों क्षेत्रों में निपुण थे। उनकी शोधपत्रों में हिन्दी के आधुनिक विकास पर प्रकाश डाला गया।

टिप्पणि (10)

Swetha Brungi
  • Swetha Brungi
  • सितंबर 30, 2025 AT 22:33 अपराह्न

विजय कुमार मल्होत्रा जी का जाना वाकई दिल को छू लेने वाला है। उनका सादगी और जनसेवा के लिए समर्पण नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने दिल्ली में भाजपा की नींव मजबूत करने में जो भूमिका निभाई, वह इतिहास में हमेशा याद रखी जाएगी। उनका शैक्षणिक पृष्ठभूमि और साहित्य में रुचि ने उन्हें एक विचारशील नेता बना दिया।

Trupti Jain
  • Trupti Jain
  • अक्तूबर 1, 2025 AT 01:03 पूर्वाह्न

उनकी विरासत हमें सुस्पष्ट दिशा देती है।

Rashi Jaiswal
  • Rashi Jaiswal
  • अक्तूबर 1, 2025 AT 03:33 पूर्वाह्न

बहुत दिल दुखाने वाली खबर है, लेकिन हम सभी को यह याद रखना चाहिए कि मल्होत्रा जी ने जो सेवा का संदेश दिया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन एक उदाहरण है कि कैसे साधारण लोग भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने हमेशा जनता की सुनवाई को प्राथमिकता दी, जिससे उनका नाम जनहृदय में बसा रहा। शिक्षा सुधार में उनका योगदान अब भी कई स्कूलों में देखा जाता है। वह दिल्ली में कई युवा नेताओं को प्रेरित करने वाले गुरु थे, जिनमें से कई आज बड़े मंच पर हैं। उनका साहित्यिक ज्ञान उन्हें विशिष्ट बनाता था, और वह हिन्दी के विकास में भी योगदान देते रहे। उनके कार्यों की एक लंबी सूची है: जनसेवा शिविर, भाषा प्रेरणा कार्यक्रम, और कई सामाजिक पहल। यही कारण है कि लोग उनके बिना भाजपा की चमक को फीका महसूस कर रहे हैं। उनका निधन सिर्फ एक शोक नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है कि हम उनके सिद्धांतों को आगे ले जाएँ। हम सभी को उनके द्वारा स्थापित मूल्यों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। यह याद रखिए, सादगी और ईमानदारी हमेशा जीतती हैं। भविष्य के नेताओं को चाहिए कि वे मल्होत्रा जी के प्रकरणों को अध्ययन कर अपने काम में उपयोग करें। उनकी स्मृतियों को संजोकर रखने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे नई पीढ़ी भी उनसे सीख सके। इस मौके पर सभी को एकजुट होकर उनका सम्मान करना चाहिए। अंत में, उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि राजनीति केवल शक्ति नहीं, बल्कि सेवा है।

Maneesh Rajput Thakur
  • Maneesh Rajput Thakur
  • अक्तूबर 1, 2025 AT 06:03 पूर्वाह्न

देखिए, इन सभी बातें सुनने के बाद भी हमें समझना चाहिए कि सरकार के अंदर कुछ छुपे हुए एजेंडे हो सकते हैं, जिन्होंने मल्होत्रा जी को इस तरह से याद किया है। परन्तु, यह भी सच है कि उनका योगदान लोकतंत्र को मजबूत बनाने में अहम रहा।

ONE AGRI
  • ONE AGRI
  • अक्तूबर 1, 2025 AT 08:33 पूर्वाह्न

विजय जी की कहानी सुनकर मेरा दिल गर्व से भर जाता है, क्योंकि उनका अल्ट्रा-नेशनलिस्म और जनसेवा का मिश्रण आज के युवाओं को ऊर्जा देता है। वे हमेशा अपने मंत्र को दोहराते थे-"देश प्रथम, जनता प्रथम"-और इसे उन्होंने अपने हर कार्य में जीता। उनका शैक्षणिक योगदान और सामाजिक कार्य एक ही धागे में बंधे थे, जिससे उनका नाम हमेशा याद रहेगा। उनके द्वारा शुरू किए गए कई कार्यक्रमों का प्रभाव आज भी उजागर है, और हमें उनका सम्मान करते हुए उनके सिद्धांतों को आगे ले जाना चाहिए।

Himanshu Sanduja
  • Himanshu Sanduja
  • अक्तूबर 1, 2025 AT 11:03 पूर्वाह्न

बहुत सही बात है, उनका योगदान हमेशा याद रहेगा।

Kiran Singh
  • Kiran Singh
  • अक्तूबर 1, 2025 AT 13:33 अपराह्न

विजय जी की याद में इस पोस्ट को पढ़ते हुए दिल हल्का हो गया 😊 उनका जनसेवा का तरीका बहुत प्रेरणादायक था। उन्होंने हमेशा आम लोगों के साथ सीधे संवाद किया, जिससे उनका भरोसा बना रहा। ऐसा नेता आज के समय में कम ही मिलता है।

Balaji Srinivasan
  • Balaji Srinivasan
  • अक्तूबर 1, 2025 AT 16:03 अपराह्न

सही कहा, उनका सादगीभरी शैली आज के राजनेताओं में जानी चाहिए।

Hariprasath P
  • Hariprasath P
  • अक्तूबर 1, 2025 AT 18:33 अपराह्न

विजय जी ka no idea, makka ... unke kaam ko event ko dekh ke bht acha lagta ha, haan bhai

Vibhor Jain
  • Vibhor Jain
  • अक्तूबर 1, 2025 AT 21:03 अपराह्न

ओह, तो फिर हमें सब उनके बारे में फिर से पढ़ना पड़ेगा।

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