उत्तर भारत के करोड़ों लोग अब अपनी सुबह की चाय के लिए बाहर निकलने के बजाय, अंधेरे में एक दीवार की तरह फैले कोहरे के पीछे फंसे हुए हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 14 दिसंबर, 2025 को जारी किए गए एक विशेष विज्ञप्ति में चेतावनी दी है कि 15 से 19 दिसंबर तक, उत्तर-पूर्वी भारत के कुछ अलग-अलग क्षेत्रों में घना कोहरा लगातार बना रहेगा। इसके साथ ही, हिमाचल प्रदेश और उत्तरी मैदानों में तापमान शून्य से भी नीचे गिरने की संभावना है। ये वास्तव में एक ऐसा मौसमी झटका है जिसने दिल्ली के लोगों को फिर से अपने गर्म कपड़े निकालने के लिए मजबूर कर दिया है — और इस बार ये सिर्फ ठंड नहीं, बर्फबारी तक का अलर्ट है।

क्या हो रहा है? दो वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का खेल

ये ठंड अचानक नहीं आई। ये एक धीमी, लेकिन बेहद प्रभावशाली हवाओं की लहर है। स्काइमेट वेदर के विश्लेषण के अनुसार, 13 दिसंबर को एक कमजोर वेस्टर्न डिस्टर्बेंस ने पश्चिमी हिमालय को छू लिया — जिससे गिलगित-बल्तिस्तान, मुजफ्फराबाद और जम्मू-कश्मीर के ऊपरी इलाकों में हल्की बर्फबारी हुई। लेकिन ये सिर्फ शुरुआत थी। अगला, ज्यादा खतरनाक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस 17 दिसंबर को आ रहा है। ये न केवल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में मध्यम से भारी बर्फबारी लाएगा, बल्कि इसके बाद एक ठंडी उत्तर-पश्चिमी हवाएं पूरे उत्तरी मैदानों और मध्य भारत की ओर बहने लगेंगी।

अगर आप सोच रहे हैं कि ये सिर्फ बर्फ की बात है, तो गलत। ये एक तापमान का बड़ा बदलाव है। IMD के अनुसार, 13 दिसंबर को राजगढ़ (पश्चिमी मध्य प्रदेश) और अंबीकापुर (छत्तीसगढ़) में न्यूनतम तापमान 5.6°C दर्ज किया गया — जो नियमित स्तर से काफी कम है। कई जगहों पर यह अंतर -5.0°C तक पहुंच गया है। यानी, वहां का मौसम अब औसत से लगभग पांच डिग्री ठंडा है।

क्यों इतनी ठंड? विज्ञान की नजर से

ये ठंड सिर्फ बादलों की वजह से नहीं है। ये एक वायुमंडलीय घटना है जिसे मौसम विज्ञानी वेस्टर्न डिस्टर्बेंस कहते हैं — ये अरब सागर और भूमध्य सागर के ऊपर बनने वाले निम्न दबाव के क्षेत्र होते हैं, जो हिमालय की ओर बढ़ते हैं। जब ये आते हैं, तो वे ऊंचाई पर बर्फ बरसाते हैं और नीचे के मैदानों में ठंडी हवाएं लाते हैं।

अब ये दो डिस्टर्बेंस एक साथ आ रहे हैं। पहला ने भूमि को नम किया, दूसरा उसके बाद ठंड की लहर लेकर आ रहा है। इसके बाद, 21 दिसंबर के बाद, उत्तर-पश्चिमी हवाएं बहने लगेंगी — ये हवाएं अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के बर्फीले क्षेत्रों से आ रही हैं। ये हवाएं अपने साथ शून्य से नीचे के तापमान लाती हैं।

इसका असर केवल ठंड नहीं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी पर भी पड़ रहा है। दिल्ली के कुछ इलाकों में कोहरे की वजह से हवाई यातायात लगातार रुक रहा है। रेलवे ने 15 दिसंबर को दिल्ली-लखनऊ और दिल्ली-अमृतसर रूट पर ट्रेनों को देरी के साथ चलाने का फैसला किया है। सड़कों पर दुर्घटनाओं की संख्या भी 35% बढ़ गई है।

हिमाचल के लिए ये बर्फ बचाव है — या बलि?

हिमाचल के लिए ये बर्फ बचाव है — या बलि?

हिमाचल प्रदेश के लिए ये बर्फबारी एक दोहरा उपहार है। एक तरफ, ये टूरिज्म को बहाल करेगी — शिमला, मनाली और कुल्लू में टूरिस्ट्स की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। दूसरी ओर, ये बर्फ के बरसने के बाद आने वाली बर्फ के ढेर और बर्फीली सड़कों के कारण पहाड़ी गांवों को अकेला छोड़ देगी।

क्लाइमेट डेटा ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के लिए इस महीने का सबसे ठंडा दिन 23 दिसंबर होगा, जब तापमान -6.2°C तक गिर सकता है। ये वही दिन है जब बर्फ के ढेर नदियों को बांध सकते हैं, और बिजली की लाइनें टूट सकती हैं। अब तक, शिमला में तापमान 21.7°C से गिरकर -2.5°C तक आ चुका है — ये एक अद्भुत गिरावट है।

अगले कदम: क्या आगे है?

IMD के अनुसार, 18 से 21 दिसंबर के बीच तापमान में एक छोटी सी वृद्धि होगी — लेकिन ये सिर्फ एक आराम का पल है। 21 के बाद, एक नया ठंडा तूफान आएगा। ये न सिर्फ उत्तरी भारत, बल्कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तरी महाराष्ट्र तक को छूएगा।

इसका मतलब है कि अगले 10 दिनों में आम लोगों को गर्म कपड़े, गर्म पानी और बिजली की आपूर्ति के लिए तैयार रहना होगा। स्वास्थ्य विभाग ने बुखार, सांस लेने में तकलीफ और बच्चों के लिए निमोनिया के मामलों में वृद्धि की चेतावनी जारी कर दी है।

क्या ये सामान्य है?

क्या ये सामान्य है?

नहीं। ये नियमित शीतकालीन ठंड नहीं है। पिछले 10 सालों में, दिसंबर के अंत में ऐसी ठंड केवल दो बार आई है — 2018 और 2022। लेकिन इस बार, वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का आना और उत्तर-पश्चिमी हवाओं का तेज होना एक असामान्य मिलावट है। कुछ वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के रूप में देख रहे हैं — जहां ध्रुवीय हवाएं अचानक दक्षिण की ओर धकेली जा रही हैं।

एक वरिष्ठ IMD वैज्ञानिक ने अनाम रूप से कहा, "हमने पिछले तीन सालों में ऐसा कुछ नहीं देखा। ये एक बड़ी घटना है, और अगले 72 घंटे फैसले कर देंगे कि क्या ये बर्फबारी असामान्य है या नया नियम है।"

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

कोहरे की वजह से दिल्ली में उड़ानें क्यों रुक रही हैं?

दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दृश्यता 500 मीटर से कम हो गई है, जो उड़ानों के लिए न्यूनतम सुरक्षा मानदंड से कम है। इसलिए 15-19 दिसंबर तक लगभग 200 उड़ानें रद्द या देरी से चलाई जा रही हैं। यह सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं — लखनऊ, अहमदाबाद और भोपाल में भी इसी तरह की स्थिति है।

हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी गांवों में बर्फ के बाद क्या होगा?

बर्फबारी के बाद, 17 दिसंबर के बाद अधिकांश पहाड़ी गांवों को राष्ट्रीय राजमार्गों से काट दिया जाएगा। इनमें से कई गांवों में बिजली, डाक और आपातकालीन सेवाएं पहुंचने में 3-5 दिन लग सकते हैं। स्थानीय प्रशासन ने अनाज, दवाएं और गर्म कपड़े के भंडार तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

क्या इस बर्फ से बाढ़ का खतरा है?

जी हां। अगर बर्फ तेजी से पिघलती है, तो गंगा और यमुना की सहायक नदियों में बाढ़ आ सकती है। विशेषकर उत्तराखंड और हिमाचल के निचले इलाकों में, बर्फ का पिघलना और बारिश का मिलना बाढ़ के लिए एक खतरनाक संयोजन है। IMD ने इसके लिए अलर्ट जारी किया है।

क्या इस बार बर्फबारी दिल्ली में भी होगी?

नहीं। दिल्ली के मैदानी इलाकों में बर्फबारी लगभग असंभव है — यहां तापमान शून्य से नीचे नहीं जाता। लेकिन बर्फ के बाद आने वाली ठंडी हवाएं दिल्ली में बर्फ के जमाव का कारण बन सकती हैं, जिससे सड़कें फिसलन भरी हो जाएंगी।

क्या ये तापमान गिरावट जलवायु परिवर्तन से जुड़ी है?

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि अर्कटिक के तापमान में तेजी से वृद्धि के कारण जेट स्ट्रीम अस्थिर हो रही है — जिससे ठंडी हवाएं अचानक दक्षिण की ओर धकेली जा रही हैं। यही कारण है कि अब भारत के मैदानी इलाकों में भी शून्य से नीचे का तापमान देखने को मिल रहा है — जो पिछले दशकों में असामान्य था।

क्या अगले साल भी ऐसा ही होगा?

यह अभी तक निश्चित नहीं है। लेकिन अगर वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की आवृत्ति बढ़ती रही और जेट स्ट्रीम अस्थिर रही, तो ये एक नया नियम बन सकता है। IMD ने अगले तीन सालों के लिए ठंडे मौसम की निगरानी के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाई है।

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