कोलंबो के आर प्रेमदासा स्टेडियम में हुए तीसरे वनडे मैच में श्रीलंका ने भारतीय क्रिकेट टीम को 110 रनों के बड़े अंतर से हराकर सीरीज 2-0 से जीत ली। यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि श्रीलंका ने 1997 के बाद पहली बार भारत के खिलाफ द्विपक्षीय श्रृंखला पर कब्जा जमाया है।
श्रीलंका के कप्तान चरित असालंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और यह निर्णय सही साबित हुआ। टीम ने मिलकर 248/7 का स्कोर खड़ा किया। हालांकि भारतीय टीम के गेंदबाज रियान पराग ने अपने पदार्पण मैच में शानदार प्रदर्शन दिखाया, उन्होंने 54 रन देकर 3 विकेट लिए।
श्रीलंका के बल्लेबाजों ने शुरुआत में थोड़ा सचेत रहकर खेला लेकिन बाद में अपनी गति पकड़ी। असलंका और अन्य खिलाड़ियों ने मिलकर टीम का स्कोर 248 तक पहुंचाया। इस स्कोर को चुनौतीपूर्ण बनाने में सीनियर और जूनियर खिलाड़ियों ने मिलकर योगदान दिया।
प्रारंभिक विकेटों के पतन के बावजूद, श्रीलंका ने मैदान पर अपनी पकड़ बनाए रखी और महत्वपूर्ण साझेदारियों के जरिए स्कोर को बढ़ाया। उनके प्रभावी बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों पर अच्छा दबाव बनाए रखा, जिससे उन्हें बड़ी पारी खेलने का मौका मिला।
भारतीय टीम के लिए चीजें लगभग पहले ही ओवर से खराब दिखाई देने लगीं। रोहित शर्मा और शुभमन गिल पावरप्ले के अंदर ही आउट हो गए, जिससे पहले ही ओवर में टीम पर दबाव आ गया। शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों में से कोई भी लंबी पारी नहीं खेल पाया और टीम लागातर विकेट गंवाती रही।
भारत की बल्लेबाजी पूरी तरह भंगुर साबित हुई, जिससे वे विरोधी टीम के बढ़ते दबाव का सामना नहीं कर सके। विराट कोहली और श्रेयस अय्यर जैसे प्रमुख बल्लेबाज भी बड़ी पारी नहीं खेल पाए, जिससे टीम पर और अधिक दबाव बढ़ गया।
श्रीलंका के युवा गेंदबाज दुनिथ वेल्लालगे ने शानदार प्रदर्शन किया और पांच विकेट लेकर भारतीय बल्लेबाजी को तहस-नहस कर दिया। उनकी गेंदबाजी ऐसी थी कि भारतीय बल्लेबाज उनके खिलाफ खुल कर खेल ही नहीं पाए।
वेल्लालगे के अलावा जेफ्री वेंडरसे ने भी अपने स्पिन गेंदबाजी से भारतीय बल्लेबाजों को खूब परेशान किया। उन्होंने भी सटीक और किफायती गेंदबाजी करते हुए भारतीय टीम को बड़ा स्कोर खड़ा करने का मौका नहीं दिया।
इस सीरीज जीत ने साबित किया कि श्रीलंका की टीम अब किसी भी बड़ी टीम को टक्कर देने में समर्थ है। में मध्य क्रम के खिलाड़ियों का योगदान अहम साबित हुआ।
श्रीलंका की रणनीति और खिलाड़ियों का प्रदर्शन दोनों ही बेहद प्रभावी रहे। मैच के दौरान टीम की एकजुटता और आत्मविश्वास भी देखने को मिला, जिसने उनकी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस मुकाबले में भारतीय टीम में रियान पराग का पदार्पण काफी चर्चित रहा। उन्होंने 5 के लिए 54 रन दिए और तीन महत्वपूर्ण विकेट चटकाए और अपनी गेंदबाजी से सभी को प्रभावित किया।
हालांकि भारत ने यह मुकाबला गंवा दिया लेकिन पराग के प्रदर्शन ने भविष्य के लिए कुछ आशाएं जताई हैं। वे आगामी मुकाबलों में और भी प्रभावी प्रदर्शन कर सकते हैं।
यह हार भारतीय टीम के लिए निश्चित ही निराशाजनक है लेकिन यह उनके लिए अपने प्रदर्शन को सुधारने का एक अवसर भी हो सकता है। उन्हें अपनी रणनीतियों पर फिर से काम करना होगा और अपनी गलती से सीख लेकर अगले मुकाबलों के लिए तैयारी करनी होगी।
श्रीलंका की यह जीत उन सभी खिलाड़ियों के प्रयासों का परिणाम है जिन्होंने अपनी भूमिका को बेहतरीन तरीके से निभाया। यह जीत न केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ावा देगी बल्कि उन्हें आगे के मुकाबलों में और भी बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करेगी।
श्रीलंका ने स्पष्ट रूप से बेहतर खेला भारत की रणनीति बिल्कुल भटक गई
वाह भारत के लिए ये बँडवॉग जैसा था बिल्कुल आश्चर्यजनक
इस जीत की चमक में श्रीलंका का आत्मविश्वास दग़ाबा से परे झलकता है,
उनके बैट्समैन ने शुरुआती घबराहट को बाद में सटीक शॉट्स में बदल दिया,
जबकि भारत की शीर्ष क्रम की असफलता ने पूरी टीम को हताशा में डाल दिया,
रियान पराग ने अपने डेब्यू में जो ऊर्जा दिखाई वह नज़रअंदाज़ नहीं की जा सकती,
लेकिन उसके चमक को भी श्रीलंका की गेंदबाजियों ने कुशलता से दबा दिया,
वेल्लालगे की पाँच विकेट ने एक बार फिर साबित किया कि युवा स्फूर्ति ही जीत की कुंजी है,
जेफ़्री वेंडरसे की स्पिन ने भारतीय बल्लेबाजों को रासायनिक जाल में फँसा दिया,
इस पारी में हर ओवर ने उत्साह का नया स्तर स्थापित किया,
मैदान पर दर्शकों की जयकार ने खिलाड़ी मनोबल को और भी ऊँचा किया,
भारतीय टीम के कोच ने शायद अपनी रणनीति को दोबारा लिखना पड़ेगा,
इस सीरीज ने स्पष्ट कर दिया कि इतिहास को फिर से लिखना आसान नहीं,
1997 के बाद पहली बार भारत के खिलाफ श्रीलंका ने पूरी जीत हासिल की,
यह सिर्फ़ एक मैच नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक परिवर्तन है,
इन्हें धैर्य और अनुभवी खिलाड़ियों की शान्ति ने टीम को संगठित किया,
इस जीत से श्रीलंका को आगे की सीरीज़ में आत्मविश्वास मिलेगा,
अंत में क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं, बल्कि भावनाओं, संघर्ष और दृढ़ता का सिनेमा है।
भाई भारत को थोडा रिफ़्रेश चाहिए अगली बार रणनीति बदलें
ऐसी जीत पर सभी उल्लास असल में यह सिर्फ़ एक अस्थायी झलक है
यह सफलता वास्तव में प्रेरणादायक है हमें निरंतर प्रयास जारी रखना चाहिए
क्या देखा आपने इस पिच पर और वह बॉल दिल धड़कता था
सिर्फ़ एक मैच से सबक नहीं लेना चाहिए टीम का सामंजस्य बनता रहे
इन्हें फेज़ फेयरस्ट्रेट एंगल पर शॉर्ट‑ऑरेंज स्लाइनर नहीं दिख रहा बॉल प्लेसमेंट डिफेक्टेड