एडन पार्क, ऑकलैंड में बुधवार को खेले गए तीसरे वनडे में श्रीलंका ने न्यूजीलैंड को 140 रनों से धूल चटाकर अपनी ब्लैक-एंड-व्हाइट सीरीज का अंत एक जीत के साथ किया। श्रीलंका ने 50 ओवर में 290 रनों का स्कोर खड़ा किया, जबकि न्यूजीलैंड की बल्लेबाजी 29.4 ओवर में ही 150 रन पर बंद हो गई — एक ऐसा धराशायी असफलता जिसने घरेलू भीड़ को चुपचाप खड़ा कर दिया। यह जीत श्रीलंका के लिए सीरीज में एकमात्र जीत थी, लेकिन इसका मन को छू लेने वाला असर था। खासकर जब आखिरी तीन मैचों में दो बार श्रीलंका की बल्लेबाजी टूट चुकी थी।
मैच का बेस्ट प्लेयर घोषित हुआ असिथा फर्नेंडो — एक ऐसा गेंदबाज जिसके नाम का जिक्र अभी तक अंतरराष्ट्रीय टीमों के लिए नया था। उन्होंने 9.4 ओवर में सिर्फ 35 रन देकर 3 विकेट लिए, जिसमें न्यूजीलैंड के ओपनर विल यंग और कप्तान मिशेल सैंटनर के बल्ले के आगे एक बड़ा ब्लॉक बन गए। उनकी गेंदबाजी ने पावरप्ले के बाद न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों के बीच डर का वातावरण बना दिया। जब न्यूजीलैंड का स्कोर 20 रन पर था, तब तीन विकेट लगातार गिर गए — यह तब था जब श्रीलंका की टीम ने अपनी गेंदबाजी की गति को एक नई ऊंचाई पर ले जाया।
असिथा ने बाद में अपने ट्रांसलेटर चरित असलंका के जरिए कहा, "मुझे यह मैच खेलकर बहुत खुशी हुई। पहले दो मैचों में हम बहुत खराब रहे, लेकिन आज हमने अपनी गलतियों को सुधारा।" यह बयान उनके लिए एक नई शुरुआत का संकेत था — एक ऐसा खिलाड़ी जिसे अभी तक किसी ने नहीं देखा था, लेकिन आज वह दुनिया के सामने आ गया।
न्यूजीलैंड की बल्लेबाजी का अंत ऐसा था जैसे एक बार गिरे तो लगातार गिरते रहे। पहला विकेट 11.4 ओवर में — विल यंग का 3 रन पर। दूसरा 22.2 ओवर में — रचिन रविंद्रा का 4 रन पर। तीसरा 35.3 ओवर में — डैरिल मिशेल का 20 रन पर। और आखिरी विकेट 46.2 ओवर में — टॉम लैथम का 21 रन पर। इन सभी विकेटों का सामान्य रन स्कोर 15 रन था। यह कोई गलती नहीं थी, यह एक व्यवस्थित असफलता थी।
कप्तान मिशेल सैंटनर ने मैच के बाद कहा, "हम इस तरह से सीरीज खत्म करना नहीं चाहते थे। लेकिन श्रीलंका ने हमें बेहतर तरीके से खेला। उन्होंने पावरप्ले में बहुत अच्छी गेंदबाजी की और कैच भी संभाले।" यह बयान एक अच्छे खिलाड़ी के अंदाज में था — न तो बहाने बनाए, न ही अपनी गलतियों को छुपाया। लेकिन यह भी सवाल उठता है: क्या न्यूजीलैंड की बल्लेबाजी अब भी टूट रही है?
सीरीज का पहला वनडे बेसिन रिजर्व, वेलिंगटन में खेला गया था। वहां न्यूजीलैंड ने 179 रनों के लक्ष्य को 23.4 ओवर में पूरा कर दिया था। मैट हेनरी को उस मैच का बेस्ट प्लेयर चुना गया था। दूसरा वनडे सेडन पार्क, हैमिल्टन में था — जहां श्रीलंका की बल्लेबाजी केवल 142 रन बनाने में सफल रही, और वानिंदू हसरंगा ने 6 विकेट लेकर श्रीलंका को गोली मार दी।
तीसरा मैच अलग था। श्रीलंका ने अपनी बल्लेबाजी में बहुत बेहतर अंदाज दिखाया। पथुम निसंका ने 58 रन बनाए, चरित विक्रमसिंहे ने 47 रन बनाए, और असिथा फर्नेंडो ने गेंदबाजी के साथ बल्लेबाजी के निर्माण को सही दिशा दी। न्यूजीलैंड की टीम जिसने पहले दो मैचों में आसानी से जीत दर्ज की थी, आज बिल्कुल अलग लग रही थी।
श्रीलंका ने पिछले तीन सालों में वनडे क्रिकेट में लगातार असफलता का सामना किया है। लेकिन आज का मैच एक नए दृष्टिकोण का संकेत था। उन्होंने अपने बल्लेबाजों को अपने अंदर छिपे आत्मविश्वास को जगाने का अवसर दिया। असिथा फर्नेंडो का नाम अब नए टैलेंट के रूप में दुनिया भर में चर्चा में आ गया है।
यह जीत सिर्फ एक मैच की नहीं, बल्कि एक टीम के अंदर के बदलाव की शुरुआत है। श्रीलंका के कोच और अधिकारी अब यह देख रहे हैं कि कैसे एक छोटी टीम भी बड़े टीमों को हरा सकती है — अगर वह अपनी गलतियों को समझे और उन पर काम करे।
अब श्रीलंका की टीम घर लौट रही है, लेकिन उनके लिए अगले दो महीने बहुत महत्वपूर्ण हैं। वे फरवरी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक तीन-मैच की सीरीज खेलेंगे, और फिर अप्रैल में भारत के खिलाफ घर पर वनडे सीरीज। अगर असिथा जैसे खिलाड़ी ने अपना आत्मविश्वास बनाए रखा, तो श्रीलंका के लिए अगला विश्व कप अपने लिए एक नया अवसर बन सकता है।
न्यूजीलैंड के लिए यह सीरीज एक चेतावनी थी। उनकी बल्लेबाजी अब तक लगातार टूट रही है — खासकर जब वे पहले 10 ओवर में विकेट खो देते हैं। उनके लिए अगला चुनौती यह है कि वे अपने बल्लेबाजों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर तरीके से तैयार करें। अगर वे इस तरह की गिरावट को दोहराते रहे, तो वे अगले विश्व कप में भी गंभीर समस्या में फंस सकते हैं।
श्रीलंका के लिए यह जीत एक नई शुरुआत का संकेत है। असिथा फर्नेंडो जैसे नए खिलाड़ियों का उभार, और बल्लेबाजी में बेहतर सामंजस्य ने टीम के आत्मविश्वास को बढ़ाया है। अगले दो महीनों में ऑस्ट्रेलिया और भारत के खिलाफ खेले जाने वाले मैचों में यह जीत उनके लिए एक आधार बन सकती है।
न्यूजीलैंड की बल्लेबाजी इस सीरीज में लगातार टूट रही है। विशेष रूप से पावरप्ले में विकेट खोने के बाद उनकी टीम दबाव में आ जाती है। यह एक तकनीकी और मानसिक समस्या दोनों है — उनके ओपनर्स अभी भी गेंदबाजी के खिलाफ अच्छी तरह से खेल नहीं पा रहे हैं।
एडन पार्क का मैच इसलिए अलग था क्योंकि श्रीलंका ने पहले दो मैचों की तरह बल्लेबाजी नहीं टूटने दी। उन्होंने अपने बल्लेबाजों को गेंदबाजी के खिलाफ धैर्य दिखाया, और असिथा फर्नेंडो की गेंदबाजी ने न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों को निराश कर दिया।
असिथा फर्नेंडो अब श्रीलंका की टीम के लिए सबसे बड़ी उम्मीद है। उन्होंने अपनी पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय जीत में तीन विकेट लिए और अपने आप को एक नए नेता के रूप में साबित किया। अगर वे अगले मैचों में भी इसी तरह खेलते हैं, तो वे श्रीलंका के भविष्य के गेंदबाजी दल के केंद्र बिंदु बन सकते हैं।
न्यूजीलैंड की टीम अभी भी विश्व कप के लिए तैयार है, लेकिन उनकी बल्लेबाजी की कमजोरी एक बड़ी चिंता का विषय है। उन्हें अपने ओपनर्स को बेहतर तरीके से तैयार करने की जरूरत है, और दबाव में खेलने की क्षमता विकसित करनी होगी। वरना, अगले विश्व कप में वे फिर से अपनी टीम को खो सकते हैं।
श्रीलंका का अगला लक्ष्य ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फरवरी में खेले जाने वाले तीन वनडे मैच हैं। अगर वे वहां भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो वे भारत के खिलाफ घरेलू सीरीज के लिए बहुत मजबूत आधार बना लेंगे। इसके बाद विश्व कप के लिए उनकी टीम का चयन आसान हो जाएगा।
ये सब एक बड़ी साजिश है!!! न्यूजीलैंड ने जानबूझकर हार दी है!!! क्योंकि वो जानते हैं कि श्रीलंका के खिलाफ जीतने पर भारतीय फैंस का दिल टूट जाएगा!!! और फिर वो बस भारत के खिलाफ विश्व कप में खेलेंगे!!! ये सब एक धोखा है!!! आप लोग देख रहे हैं न? असिथा फर्नेंडो का नाम कभी नहीं आया था अब अचानक??? ये फिल्मी ड्रामा है!!!