पापुआ न्यू गिनी के एंगा प्रांत में हाल ही में एक भयानक भूस्खलन हुआ, जिससे एक सुदूर पहाड़ी गांव में 2,000 से अधिक लोग दब गए हैं। यह विनाशकारी घटना उस समय घटी जब मांउट मुंगालो का एक बड़ा हिस्सा अचानक धसक गया, जिसमें कई घर, बाग-बगीचे और लोग मलबे में फंस गए। इस भूस्खलन से भवन और खाद्यान्न उद्यानों के अलावा देश के आर्थिक ढांचे को भी व्यापक क्षति पहुंची है।
भूस्खलन की इस घटना ने पूरे एंगा प्रांत को हिला कर रख दिया है। मलबे के नीचे कार के आकार के बड़े-बड़े पत्थर, उखड़े हुए पेड़ और मिट्टी का ढेर है, जिसे निकालना बेहद मुश्किल हो रहा है। सरकारी अधिकारियों और स्थानीय बचाव दलों ने शॉवेल और अस्थायी औजारों का उपयोग कर मलबे से शवों को निकालने का प्रयास शुरू किया है। मलबा करीब आठ मीटर गहरा है, और इस समय बचाव कार्य के लिए विशेष उपकरणों और मानव संसाधनों की भारी जरूरत है।
भूस्खलन का खतरा अभी भी बना हुआ है क्योंकि भूमि का एक बड़ा हिस्सा अब भी सरक रहा है। चट्टानें पहाड़ से गिर रही हैं और मिट्टी और मलबे के बीच पानी के धारे बह रहे हैं, जो बचाव दल और स्थानीय निवासियों के लिए गंभीर खतरा प्रस्तुत कर रहे हैं। UN प्रवासन एजेंसी के अधिकारी सेरहान अक्टोपक का कहना है कि भूमि अभी भी सरक रही है और इससे बचाव कार्य को अंजाम देना और भी मुश्किल हो रहा है। बचाव कार्य की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताई जा रही है क्योंकि स्थिति बदतर होती चली जा रही है।
पापुआ न्यू गिनी सरकार ने संयुक्त राष्ट्र से अंतर्राष्ट्रीय सहायता की गुहार लगाई है। संयुक्त राष्ट्र ने तुरंत एक आपातकालीन सहायता बैठक बुलाई है, जिसमें सदस्य देशों से राहत कार्य में योगदान देने की अपील की गई है। इस आपदा ने न केवल जिला प्रशासन बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी हिलाकर रख दिया है, और अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि कितनी जल्द और कितनी प्रभावशाली सहायता यहां पहुंचाई जा सकेगी।
पापुआ न्यू गिनी विश्व के सबसे अधिक वृष्टिपूर्ण जलवायु वाले क्षेत्रों में से एक है। अनुसंधान के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा की बदलती पैटर्न से भूस्खलन का खतरा और बढ़ सकता है। यह अनिश्तिकालीन जोखिम भविष्य में इस तरह की घटनाओं को और भी सामान्य बना सकता है। इस सन्दर्भ में, यह आपदा न केवल एक तात्कालिक मानवीय संकट है, बल्कि पर्यावरण और मौसम से जुड़ी़ भविष्य की चुनौतियों की भी एक चेतावनी है।
भूस्खलन का प्रभाव स्थानीय जनता पर अत्यंत गहरे प्रभाव डाल रहा है। लोगों के घर-वार, खाद्यान्न और आजीविका के अन्य साधनों का विनाश हो गया है। वे अनिश्चित भविष्य की ओर देख रहे हैं, जहां न केवल अपने प्रियजनों का नुकसान है बल्कि जीविका के साधनों का अभाव भी है। शीर्षक में लिखा कि यह घटना पहाड़ी गांव में हुई है, लेकिन वास्तव में इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है। सेरहान अक्टोपक ने बताया कि भूस्खलन का फैला क्षेत्र लगभग चार फुटबॉल मैदान के बराबर है, जिससे स्थिति की गंभीरता का अनुमान लगाया जा सकता है।
इस आपदा ने पापुआ न्यू गिनी के आपदा प्रबंधन तंत्र की भी परीक्षा ली है। प्रशासन और बचाव दल के लिए अब सवाल यह है कि वे कैसे इस संकट से निपट सकते हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए किस प्रकार की तैयारियां कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और बदलते हुए मौसम पैटर्न को ध्यान में रखते हुए, आपदा प्रबंधन को और भी मजबूत बनाने के लिए व्यापक कदम उठाने की जरूरत है।
हालांकि यह घटना अत्यंत दुखद और कठिन है, लेकिन यह इस बात का भी अवसर है कि पापुआ न्यू गिनी और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मिलकर कैसे असाधारण परस्पर समर्थन और सहयोग के माध्यम से ऐसे संकटों से निपट सकते हैं। आपदा के बाद की समीक्षा और उससे सीख लेकर आपदा प्रबंधन की नई रणनीतियों को अपनाना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
जून 30 2024
मई 18 2024
तेज़ी से टिप्पणी करना