कभी ऐसा लगा कि कुछ खबरें अचानक हवेली लिखी हुई तरह फैल जाती हैं? अक्सर वो खबरें सिर्फ सूचना नहीं, बल्कि एक सोची-समझी पब्लिसिटी रणनीति यानी पीआर स्टंट भी होती हैं। पीआर स्टंट का मकसद ध्यान खींचना, ब्रांड या शख्सियत की छवि बनाना और मीडिया चर्चा जेनरेट करना होता है। यह राजनीतिक दौरे, खेल टीम की घोषणा, फिल्म रिलीज़ या सेंसैशनल सोशल पोस्ट—किसी भी रूप में हो सकता है।
नीचे आसान भाषा में बताए गए से संकेत और उदाहरण आपको रोज़मर्रा की खबरों में पीआर के सुराग पकड़ने में मदद करेंगे।
पीआर स्टंट अक्सर समय और प्रस्तुति पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, जब IPL टीम RCB ने Mayank Agarwal को जोड़ा, तो उसके साथ जुड़ा CBI डायरेक्टर से पारिवारिक कनेक्शन चर्चा में आया — यह मीडिया ध्यान खींचने वाला पहलू था। इसी तरह, पीएम मोदी की क्रोएशिया यात्रा में बड़े पैमाने पर MoU और सामुदायिक स्वागत जैसी घटनाएँ न सिर्फ कूटनीतिक रही बल्कि सार्वजनिक संदेश को भी मजबूत करती हैं। फिल्में जैसे 'पुष्पा 2' या नेटफ्लिक्स की 'स्क्विड गेम' रिलीज़ पर प्रचार-तंत्र साफ दिखता है — ट्रेलर, स्पेशल इवेंट और स्टार इंटरव्यूज़ की योजना।
सामान्य संकेत: अचानक बनावट वाली फोटो या वीडियो, चमकदार हेडलाइन के साथ सीमित तथ्य, किसी घटना का बड़े समारोह जैसा प्रदर्शन, और वही संदेश बार-बार अलग प्लेटफ़ॉर्म पर दिखना।
खबर संदिग्ध लगे तो पहले स्रोत देखें: आधिकारिक प्रेस नोट, MoU की कॉपी, या सीधे संस्थान/टीम के ऑफिशियल चैनल। अगर किसी खिलाड़ी या नेता की घोषणा संदर्भहीन तारीखों के साथ वायरल है, तो वक्त और संदर्भ पर ध्यान दें। उदाहरण के तौर पर, क्रिकेट या फुटबॉल रिपोर्ट्स में कभी-कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य मैच रणनीति बताना होता है, पर साथ में टीम की सकारात्मक छवि भी बनाई जाती है — आर्टेटा की जीत के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस इसका उदाहरण है, जहां खेल के साथ 'नैरेटिव' भी सेट किया गया।
अगर आप पाठक हैं, तो शेयर करने से पहले स्रोत वेरिफाई करें और सनसनी पर टिके हेडलाइन पर सीधे विश्वास न करें। अगर आप कंटेंट क्रिएटर या पीआर प्रोफेशनल हैं, तो ईमानदारी से कहानी बताएं, फेक्ट्स दें और झूठी दावों से बचें—क्योंकि लंबे समय में भरोसा ही सबसे बड़ा संसाधन है।
आखिर में, हर खबर को पीआर स्टंट मानना भी सही नहीं। कई बार असली खबरें और ईमानदार रिपोर्टिंग मिलती है। फर्क जानने का तरीका है—संदर्भ, स्रोत और प्रस्तुति पर ध्यान देना। यही आदत आपको सूचित और समझदारी भरा पाठक बनायेगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया, जिसे बीजेपी ने 'पीआर स्टंट' कहा। भ्रष्टाचार के मामले में जेल से रिहा होने के बाद केजरीवाल ने वोट के जरिए जनता से अपनी ईमानदारी का प्रमाण मांगा। बीजेपी ने इस कदम को उनकी छवि सुधारने का प्रयास बताया और शासन में खामियों पर सवाल उठाए।