Ashes series, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला जाने वाला टेस्ट क्रिकेट का सबसे पुराना और सबसे भावुक प्रतियोगिता. इसे द एशेज भी कहते हैं, और ये सिर्फ एक सीरीज़ नहीं, बल्कि दो देशों के बीच का एक ऐतिहासिक टकराव है। ये टकराव 1882 में शुरू हुआ, जब इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घर पर हार के बाद एक समाचार पत्र ने लिखा कि क्रिकेट की राजकुमारी की अस्थियाँ ऑस्ट्रेलिया ले गई। उसी दिन से ये अस्थियाँ एक छोटी सी उर्ध्वाधर बॉल के रूप में दोनों टीमों के बीच एक प्रतीक बन गईं।
ये सीरीज़ सिर्फ जीत-हार के बारे में नहीं है। ये एक भावना है—एक ऐसी भावना जो खिलाड़ियों को अपने देश के लिए खेलने के लिए प्रेरित करती है। इंग्लैंड के लिए ये एक अपमान का बदला लेने का मौका है, और ऑस्ट्रेलिया के लिए ये अपनी दुनिया की सबसे बड़ी जीत को बरकरार रखने का तरीका है। इसमें ऐसे खिलाड़ी आए हैं जिन्होंने अपने नाम इतिहास में लिख दिए, जैसे डॉन ब्रैडमैन, जॉन रॉबर्ट्स, और आज के जेम्स एंडरसन या रॉबिन उड्डी।
ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट, दुनिया की सबसे सफल टेस्ट टीम, जिसने एशेज में अधिक जीत दर्ज की है। वहीं इंग्लैंड क्रिकेट, जिसकी टीम कभी-कभी अस्थिर रहती है, लेकिन एशेज में हर बार जबरदस्त लड़ाई लड़ती है। इन दोनों के बीच का अंतर सिर्फ स्कोरबोर्ड पर नहीं, बल्कि उनकी रणनीति, खिलाड़ियों की मानसिकता और भावनाओं में छुपा है। ऑस्ट्रेलिया ज्यादा आक्रामक रहता है, जबकि इंग्लैंड अक्सर अपनी टीम के अंदर के तनाव के साथ लड़ता है।
अगर आप इस सीरीज़ को देखते हैं, तो आपको याद आएगा कि कैसे एक छोटी सी बॉल ने पूरे देशों के बीच एक अनमोल रिश्ता बना दिया। ये टेस्ट मैच बस पांच दिन के नहीं होते—वो दिनों के लिए बनते हैं। जब इंग्लैंड जीतता है, तो लंदन में लोग गलियों में नाचते हैं। जब ऑस्ट्रेलिया जीतता है, तो सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर लाखों लोग चिल्लाते हैं। इसके बाद भी जब बारिश होती है या टीम बदलती है, तो ये सीरीज़ अपने आप में एक नया अध्याय लिखती है।
आपको यहाँ इस सीरीज़ के बारे में सब कुछ मिलेगा—कैसे एक टीम ने दूसरी को बर्बरता से हराया, कौन से खिलाड़ी ने अपने नाम को इतिहास में दर्ज किया, और कैसे इस टकराव ने महिला क्रिकेट को भी प्रभावित किया। ये सीरीज़ कभी खत्म नहीं होती, बस नए खिलाड़ियों के नाम जुड़ते रहते हैं। नीचे आपको इसकी वास्तविक कहानियाँ, रिकॉर्ड और अद्भुत पल मिलेंगे।
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