इज़रायल और ईरान के बीच जारी तनाव ने शनिवार, 26 अक्टूबर 2024 को एक नए चरण में प्रवेश किया। इस दिन इज़रायल ने ईरान पर सटीक हमले किए, जिसके पीछे सीधा कारण 1 अक्टूबर को हुए ईरानी मिसाइल हमले थे। इज़रायली रक्षा बलों ने जोर देकर कहा कि यह हमला पहले के महीनों में हुए कई आक्रमणों के जवाब में था, जो ईरानी शासन द्वारा किया गया था। इज़रायल और ईरान के बीच के रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन हाल के महीनों में यह टकराव और बढ़ गया है, जब इज़रायली क्षेत्र पर सीधे ईरानी हमले हुए।
इन हमलों का सबसे दुखद पहलू यह है कि दोनों देशों के मासूम नागरिक इसके कारण ख़तरे में हैं। किसी भी बड़े टकराव की स्थिति में, उन परिवारों पर संकट आ सकता है, जो इन तमाशों से दूरी बनाए रखना चाहते हैं। इज़रायली और ईरानी दोनों ही आम नागरिक इन राजनीतिक विवादों की कीमत चुका रहे हैं, और औपचारिक कूटनीति की कमी के कारण प्राकृतिक संसाधनों और बुनियादी सेवाओं की कमी झेलनी पड़ सकती है।
इज़रायली रक्षा बलों का स्पष्ट कहना है कि उनकी सेना को ना केवल अपने नागरिकों की रक्षा करने का कर्तव्य है, बल्कि उन खतरों के खिलाफ भी कार्रवाई करना है जो उसके क्षेत्रीय अमन-चैन को बिगाड़ने की कोशिश में हैं। यह कार्रवाई विशेष रूप से तब की गई, जब ईरान ने लगातार दूसरे हमले के दौरान इज़रायली क्षेत्रों पर गोलाबारूद बरसाए। इज़रायली सेना ने यह पुष्टि की कि उनके हमले केवल सैन्य लक्ष्यों पर केंद्रित थे, और वे किसी भी निर्दोष नागरिक के प्रति अपनी किसी भी प्रकार की आक्रमणात्मक नीति के खिलाफ हैं। उन्होंने यह भी बयान दिया कि उनका उद्देश्य हमले की राजनीतिक कार्रवाई का जवाब देना और अपने राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
जबकि इज़रायल ने इन हमलों को अपनी रक्षा के लिए आवश्यक कदम बताया, ईरान ने इसे एक प्रतिगामी और उत्तेजक कार्रवाई कहा है। ईरानी सरकार ने दावा किया कि इज़रायल की यह कार्रवाई एक उकसाने वाला कदम है, और बहुपक्षीय वार्ता के माध्यम से इस विवाद का समाधान होना चाहिए। यह देखा जा सकता है कि ईरान इस टकराव को एक व्यापक अंतर्राष्ट्रीय संवाद में बदलने की कोशिश कर रहा है, ताकि वैश्विक समुदाय इस पर अपनी नजरिया स्थापित कर सके।
इस ताज़ा घटना के कारण पश्चिम एशिया में और भी अस्थिरता बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षणिक भिड़ंत अधिक व्यापक संघर्ष में परिवर्तित हो सकती है, यदि सम्बंधित पक्ष अधिक संयम और कूटनीति से काम नहीं लेते। इस क्षेत्र में होने वाली किसी भी प्रकार की अस्थिरता न केवल क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रभाव डाल सकती है। यह अत्यंत आवश्यक है कि सभी संबंधित पक्ष बैठें और इस टकराव को शांतिपूर्वक समापन की ओर लेकर जाएं।
इस प्रकार की घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि वर्तमान वैश्विक राजनीति में विश्वास और संवाद का महत्व कितना बढ़ गया है। इससे जुड़ा कोई भी निर्णय उचित सूचना और समझ के साथ लिया जाना चाहिए। विश्व समुदाय के सामने यह एक चुनौती है कि वह इस विवाद को कैसे सांस्कारिक और शांतिपूर्ण समाधान की ओर मोड़ते हैं। इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि विश्व के प्रमुख देश इस टकराव के हल के लिए कितना सहयोग और समर्थन देंगे।
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