BCCI ने इस साल अपनी केंद्रीय अनुबंध सूची में बड़ा बदलाव किया है। पिछले सीज़न जिन चेहरों को भारतीय क्रिकेट का भविष्य माना जा रहा था, उनमें से KS Bharat, Avesh Khan, Deepak Chahar, Bhuvneshwar Kumar और Shardul Thakur को सीधे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। खास बात ये है कि केएस भरत, जो पिछले लंबे वक्त से ऋषभ पंत की गैरहाजिरी में टीम इंडिया के विकेटकीपिंग मोर्चे पर थे, अब सीधे लिस्ट से बाहर हैं। वजह साफ है—पंत अब पूरी तरह फिट होकर वापसी कर चुके हैं और सभी फॉरमेट में उपलब्ध हैं।
अगर गेंदबाजी की बात करें तो अवेश खान की लय और फॉर्म में लगातार गिरावट, और टीम में उनकी स्थान सीमित हो चुकी थी। दीपक चाहर को भी फिटनेस ने परेशान किया और चयनकर्ताओं की नजरों में वह संघर्ष करते दिखे। भुवनेश्वर कुमार और शार्दुल ठाकुर को बार-बार मौका तो मिला, लेकिन वो लगातार प्रभाव नहीं छोड़ पाए। तेज गेंदबाजी लाइन-अप में नई पीढ़ी के आने की वजह से इन सीनियर खिलाड़ियों की दावेदारी कमजोर होती गई।
अब बात करें उन खिलाड़ियों की जिनकी चमक न सिर्फ बरकरार है बल्कि वे अनुबंध लिस्ट के टॉप पर बने हुए हैं। Rohit Sharma, Virat Kohli, Jasprit Bumrah, और Ravindra Jadeja जैसे दिग्गजों को BCCI ने फिर से Grade A+ में रखा है। इसी ग्रेड के तहत उन्हें ₹7 करोड़ सालाना मिलेंगे। दिलचस्प है कि ये खिलाड़ी भले टी20 से रिटायर हो चुके हैं, मगर उनकी उपयोगिता और ब्रांड वैल्यू बरकरार है।
काफी मुश्किल समय से गुजर चुके Rishabh Pant की वापसी चर्चा का विषय बन गई है। गंभीर सड़क हादसे के बाद लगा था कि उनका करियर शायद लंबा न चले, लेकिन उन्होंने फिटनेस और रन दोनों से वापसी की है। इसकी बदौलत उन्हें Grade A में प्रमोट कर दिया गया, जहां सालाना पांच करोड़ रुपये मिलेंगे।
एक और बड़ी बात है Shreyas Iyer और Ishan Kishan का लिस्ट में लौटना। पिछले सीजन घरेलू क्रिकेट से दूरी बनाने की वजह से उन्हें अनुबंध से बाहर रखा गया था। Iyer को इस सीजन अपनी जगह Grade B में मिली, वहीं Kishan Grade C में शुमार हुए हैं। ये दोनों अब भी अपनी जगह मजबूत करने की चुनौती में हैं।
BCCI का साफ संदेश है—जो खिलाड़ी देश के लिए लगातार तीन टेस्ट, आठ वनडे या टी20 खेलेंगे, वे ही अनुबंध में बने रहेंगे। जो फिटनेस और प्रदर्शन से लगातार टीम के दावेदार रहेंगे, उनकी स्थिति मजबूत रहेगी। रिटेनरशिप फीस में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह फैसले टीम का भविष्य तैयार करने और वास्तविक प्रदर्शन करने वालों को आगे लाने के लिए हैं।
नयी सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट में पंत की वापसी के साथ कई सीनियर्स को बाहर किया गया है, यह दर्शाता है कि फिटनेस अब प्राथमिकता है।
बिल्कुल ही विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए तो BCCI ने इस बार जो ग्रेडिंग की रणनीति अपनाई है, वह मैक्रो-इकोनॉमिक मॉडलिंग के समान है, जहाँ प्रत्येक खिलाड़ी के प्रत्यक्ष योगदान को एक मल्टीप्लायर फंक्शन के रूप में मूल्यांकित किया गया है; इस फ्रेमवर्क में KS भारत का वॉटरबाउंडरी मैट्रिक्स नकारात्मक साइड प्रभाव दर्शाता है, जिससे उनका एग्ज़िट स्वाभाविक है; अवेश खान की डिक्रीज़िंग इम्पैक्ट फैक्टर को देख कर यह स्पष्ट है कि उनकी औसत स्पीड और कंसिस्टेंसी की रूट कॉज़ इज डिस्प्लेनरी डिक्लाइन है; दीपक चाहर की फिटनेस एरर मैट्रिक्स में रिस्क प्रोफाइल अत्यधिक हाई है, इसलिए उनका कॉन्ट्रैक्ट कटऑफ़ व्यावहारिक था; भुवनेश्वर कुमार और शार्दुल ठाकुर दोनों की पिच मैपिंग में लो-इन्फ्लुएंस डिटेक्शन दिखाता है कि उनकी मौजूदा फॉर्म में स्थिरता नहीं है; नई पीढ़ी के तेज़ बॉलर एंट्रीज़ ने पारंपरिक स्पिनर और फास्ट बॉलर की वैल्यू प्रोपेन्शिया को पुनः परिभाषित किया है, जिससे उन पर नयी ग्रेडिंग की सख्त सीमा लागू हुई; पंत की रिटर्न को ग्रेड A में प्रमोट करना मात्र ब्रांड वैल्यू नहीं, बल्कि उनके फॉर्मेट-इंडिपेंडेंट स्किल सेट का प्रमाण है; रोहित और कोहली को A+ में पुनः रखना एक मार्केट-ड्रिवेन नियोजन दर्शाता है; बुमराह की निरंतर एक्सीलेंस ने उन्हें अप्रतिम कॉन्ट्रैक्ट क्वालिफ़िकेशन दिया है; जडेजा को A+ में रखना इन सभी आंकड़ों के साथ सामंजस्य रखता है; इयरिन की ग्रेड B में एंट्री एक वेरिएबल डिस्क्रिप्शन पॉइंट दर्शाती है, जबकि इशन को ग्रेड C मिलने से यह स्पष्ट होता है कि टीम मैनेजमेंट ने उनके परफॉर्मेंस ट्रेंड को माइक्रो-एनोलेसिस किया है; अंत में यह नीतिगत बदलाव दर्शाता है कि BCCI प्रदर्शन, फिटनेस और निरंतरता को प्राथमिकता दे रहा है, जो भारतीय क्रिकेट के दीर्घकालिक विकास में सहायक होगा।
यह निर्णय बिल्कुल भी निहितार्थहीन नहीं है; पुराने खिलाड़ियों की निरंतरता को एक नैतिक दायित्व समझते हुए भी, वास्तविकता यह है कि फ़िज़िकल रिज़िलिएंसी पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
ग्रेड A+ में रहना ही अब सतही नहीं रहा, असली मूल्यांकन प्लेअर के ROI पर आधारित है, और इस साल का ROI हाई थ्रेशोल्ड पर सेट है।
बिलकुल सही, ROI की बात करते हुए, पंत का फॉर्मेट-इंडिपेंडेंट परफॉर्मेंस ही उनका सबसे बड़ा एसेट है।
देखिए, इस इंट्री में भावनात्मक पहलू भी काम करता है, क्योंकि हर खिलाड़ी का पेज़ वैल्यू फ्रीक्वेंटली बदलता रहता है, और यही रिफ्लेक्शन हमें समझना चाहिए कि दीर्घकालिक अभिकर्मन में सततता कितनी ज़रूरी है; परफॉर्मेंस इंग्लिश में पढ़ी जाती है, लेकिन उसके पीछे की कहानी हमेशा दिलचस्प होती है; इस बार के कॉन्ट्रैक्ट अपडेट में टीम की स्ट्रैटेजिक डायरेक्शन स्पष्ट दिखती है, जहाँ फिटनेस को टॉप प्रायोरिटी दी गई है, और यही दृष्टिकोण भविष्य में भारत को स्थिरता देगा।
कुल मिलाकर टीम की नई दिशा को सपोर्ट करता हूँ, लगातार खेलने वाले खिलाड़ियों को रखना सही कदम है
पिछली लिस्ट में कई नामों का बाहर होना एक प्रीमियम एलीटिज़्म का संकेत है, पर कुछ टॉप प्लेयर्स को फिर से ग्रेडिंग में रखकर बिचौलियों को बायपास किया गया है, यह एक सतही समीकरण है।
बधाई हो इंडिया, नया सत्र शानदार रहेगा।
मुझे लगता है कि इस बार की लिस्ट में थोड़ा ड्रामा है, लेकिन देखेंगे कैसे चलता है, नयी ग्रेडिंग से उम्मीदें भी बड़ी हैं और तनाव भी।
सबको याद दिलाना चाहूँगा कि निरंतर मेहनत ही सफलता की कुंजी है, नए कॉन्ट्रैक्ट वाले खिलाड़ियो को बेस्ट ऑफ़ लक।
डेटा-ड्रिवेन एप्रोच के तहत, इस लिस्ट में इकोनॉमिक एफ़ेक्टिवनेस और परफॉर्मेंस मेट्रिक्स का उच्चतम संगम दिख रहा है, जो कि एक उच्च स्तरीय निर्णय प्रक्रिया को प्रमाणित करता है।
भाई भई, अगर फिटनेस की बात है तो ट्रैनर लोग बहुत काम कर रहे हैं, इसलिए बचे हुए प्लेयर्स को अच्छा कंट्रैक्ट मिला है, ओके?
पहले तो यह कहा जा सकता है कि BCCI ने इस बार का फैसला दर्शाता है कि वे न केवल त्वरित परिणामों के लिये बल्कि दीर्घकालिक टीम निर्माण के लिये प्रतिबद्ध हैं; इस दृष्टिकोण में यह स्पष्ट रूप से दिखता है कि जिन्होंने लगातार तीन टेस्ट या आठ वनडे या टी20 में भाग लिया है, उन्हें प्राथमिकता दी गई है, जिससे खिलाड़ी अपने प्रदर्शन के आधार पर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें; साथ ही, फिटनेस का महत्व अब सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि चयन प्रक्रिया का एक स्तंभ बन चुका है, और इसलिए उन खिलाड़ियों को बाहर निकालना जो इस मानक पर खरे नहीं उतरते, एक आवश्यक कदम है; इस नीति से युवा पीढ़ी के आने वाले खिलाड़ियों को स्पष्ट संदेश मिलता है कि निरंतरता, फिटनेस और निरंतर प्रदर्शन ही सफलता की कुंजी है; अंततः, यह नई कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट भारतीय क्रिकेट के भविष्य की नींव को और मजबुती प्रदान करेगी।
यह चयन प्रक्रिया स्पष्ट मानकों पर आधारित है; व्यक्तिगत पक्षपात नहीं दिखता, यह पेशेवर दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है।
भारत की क्रिकेट संस्कृति को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाने के लिये यह निर्णय अत्यंत उचित प्रतीत होता है, और इस में सांस्कृतिक निरंतरता भी प्रतिबिंबित होती है।
हमारे महान क्रिकेट धरोहर को संरक्षित रखने हेतु, केवल फिट और फॉर्म में रह जाने वाले ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अभिमान की रखवाली करने वाले खिलाड़ियों को प्राथमिकता देना आवश्यक है; यह केवल खेल नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा है; अतः इस लिस्ट में दिखायी गई स्पष्टता हमें गर्व से भर देती है और भविष्य में एक सशक्त भारतीय टीम की आशा को दृढ़ बनाती है।p>
पंत की वापसी को देख कर दिल जीत गया, अब टीम में नई उमंग है।
इह लिस्ट मेन बदलाव काफ़ी इंटरेस्टिंग है, पर बाघीं सॉफ़्टवेयर एरर सॉरि है।