आईसीसी पुरुष टी20 विश्व कप 2024 के 29वें मैच में अफगानिस्तान ने पापुआ न्यू गिनी को हरा कर एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की। यह मैच त्रिनिदाड और टोबैगो स्थित ब्रायन लारा क्रिकेट अकादमी में 13 जून 2024 को खेला गया। टॉस जीतकर अफगानिस्तान ने पहले गेंदबाजी का फैसला लिया, जिसने पापुआ न्यू गिनी की टीम को मात्र 95 रनों पर समेट दिया।
पापुआ न्यू गिनी की टीम बैटिंग के लिए उतरी तो उनके बल्लेबाज अफगानिस्तान की धारदार गेंदबाजी के सामने टिक नहीं पाए। पूरी टीम 19.5 ओवर में 95 रन बनाकर ऑलआउट हो गई। टीम के लिए केवल किपलिन डोरीगा 27 रन और टोनी उरा 11 रन बनाने में सफल हुए।
अफगानिस्तान के गेंदबाजों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। फजलहक फारूकी ने 3 विकेट, नवीन-उल-हक ने 2 विकेट और नूर अहमद ने 1 विकेट लिया। गेंदबाजों के इस असरदार प्रदर्शन ने पापुआ न्यू गिनी को एक अच्छे स्कोर तक पहुंचने से रोक दिया।
मात्र 96 रनों का लक्ष्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता था और अफगानिस्तान के बल्लेबाजों ने यह साबित किया। टीम ने 15.2 ओवरों में 3 विकेट के नुकसान पर 106 रन बना कर मैच अपने नाम कर लिया। ग़ुलबदीन नायब ने 31 रन नाबाद और मोहम्मद नबी ने 10 रन बनाकर टीम को जीत दिलाई।
गुलबदीन नायब ने बल्लेबाजी में शानदार प्रदर्शन दिखाया और अंत तक नाबाद रहे। उनकी पारी ने अहम भूमिका निभाई और अफगानिस्तान को जीत दिलाई।
इस जीत के साथ अफगानिस्तान ने टूर्नामेंट में एक महत्वपूर्ण जीत दर्ज की और अपने निभाई मजबूत स्थिति में पहुंच गया।
क्रिकेट प्रशंसकों के लिए यह मैच खासा रोमांचक रहा और दोनों टीमों ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों को मनमोहित किया।
अफ़गानिस्तान द्वारा पेश किया गया बॉलिंग प्रदर्शन अत्यंत कलात्मक था, जिससे पापुा न्यू गिनी की बैटिंग लगभग असम्भव हो गई। इस जीत ने टीम के रणनीतिक सोच को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया है।
भाई, तुम इतना फॉर्मल क्यूं हो रहे हो? असल में तो फजलहक फारूकी की गेंदें मैजिक की तरह थीं, वही असली स्टार है। देखो, ये टॉस जीत के पहले बॉलिंग लेना कब तक चलता रहेगा!
अफगानिस्तान की जीत ने भारत के कई युवा दर्शकों को प्रेरित किया है, क्योंकि इस टीम ने अपने सीमित संसाधनों के साथ भी उच्च स्तर का क्रिकेट दिखाया है, जो कई अन्य देशों के लिए भी एक सीख है, इस जीत के पीछे कई रणनीतिक बदलावों का हाथ है, जैसे कि पहले गेंदबाजी को चुनना, जिसने विपक्षी टीम को असहज कर दिया, फिर फजलहक फारूकी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन, जिसने तीन विकेट लेकर मैच का रुख बदल दिया, नवीन‑उल‑हक की दो विकेट की गति भी उल्लेखनीय थी, नूर अहमद का एक वीक भी महत्वपूर्ण रहा, इन सभी को मिलाकर एक सामंजस्यपूर्ण योजना बनायी गयी, जिसके तहत बॉलिंग और बैटिंग दोनों में संतुलन रखा गया, इस तरह की टीम वर्क अक्सर बड़े टूर्नामेंटों में काम नहीं आती, लेकिन यहाँ यह सफल रही, इसके अलावा गल्बदीन नायब की नाबाद पारी ने टीम को ठोस बेस बनाया, उसकी 31 रन की शांति भरी पारी ने टीम को स्थिरता दी, अंत में अफगानिस्तान ने 106 रन बनाकर लक्ष्य को आसानी से पार किया, इस जीत ने टीम की विश्व कप में स्थिति को मजबूत किया, और यह दर्शाता है कि छोटे क्रिकेटिंग नेशन भी बड़े मंच पर चमक सकते हैं, इस तरह की भावना भविष्य में और अधिक रोमांचक मैचों की आशा देती है, अंत में कहना चाहूँगा कि इस जीत से अफगानिस्तान को नई पहचान मिली है, और हमें सभी को इस पर गर्व होना चाहिए।
वाह, क्या शानदार जीत थी, बिलकुल उधार का ट्रॉफी जैसा!
अफगान की जीत का मतलब है कि एशिया में हमारी टीम अब शीर्ष पर है ये सब हमें गर्वित करता है और कोई हमें नीचे नहीं मार सकेगा
सच कहूँ तो ये जीत हमारी उम्मीदों को नहीं बल्कि कुछ हद तक टीम की कमजोरी को उजागर करती है अभी तो और भी सुधार की जरूरत है
अगर आप आगे के मैच देखना चाहते हैं तो ध्यान रखें कि अफगानिस्तान के स्पिनर कैसे रेंज बदलते हैं यह उनके बॉलिंग प्लान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
हँसते‑हँसते कहना चाहिए कि इस जीत को देख कर हर युवा क्रिकेटी को अब खुद को हीरो समझ लेना चाहिए; पर वास्तविकता में प्रशिक्षण ही सच्ची जीत लाता है; अतः आपके सभी सवालों के लिए मैं यहाँ हूँ.