आज का पंचांग: 6 जुलाई 2024

आज 6 जुलाई 2024 का दिन भक्तों के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि आज से गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। गुप्त नवरात्रि का यह पर्व मां दुर्गा की उपासना के लिए समर्पित होता है, जिसमें माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दिन का पंचांग हमें विभिन्न धार्मिक कर्मकांडों, मुहूर्तों और आंतरिक शांति को पाने के मार्गदर्शन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।

गुप्त नवरात्रि का महत्त्व

गुप्त नवरात्रि भारतीय संस्कृति और धर्म में एक अत्यंत पावन पर्व है। यह पर्व विशेष रूप से तंत्र साधना और मां दुर्गा के महाविद्याओं की उपासना के लिए जाना जाता है। यही कारण है कि इसे 'गुप्त' नवरात्रि कहा जाता है। इस नौ दिनों के पर्व के दौरान भक्तजन गहर्ना, ध्यान, और साधना करते हैं। इस दौरान की जाने वाली पूजा विधियों में गुप्तता और गोपनीयता का विशेष ध्यान रखा जाता है, जिससे साधक को मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

तिथि और नक्षत्र

आज की तिथि और नक्षत्र का ज्ञान हमारे दैनिक धर्म-कर्म में महत्वपूर्ण होता है। 6 जुलाई 2024 को पंचमी तिथि है और नक्षत्र 'विशाखा' है। ये दोनों ही समय संयोजन शुभ फलों की प्राप्ति के लिए माने जाते हैं। यह समय नई शुरुआत करने, महत्त्वपूर्ण कार्यों को संपन्न करने, तथा पूजा-पाठ के लिए अति उत्तम होता है।

शुभ और अशुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, 6 जुलाई 2024 को कई शुभ और अशुभ मुहूर्त भी हैं। शुभ मुहूर्त में अभिजीत मुहूर्त (11:58:01 - 12:53:35) विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जिसका उपयोग महत्वपूर्ण कार्यों में सफलता पाने के लिए किया जा सकता है।

वहीं, अशुभ मुहूर्त में दुश्ट मुहूर्त, कुलिक, कंतक, राहु काल (10:30 बजे - 12:00 बजे), कालवेला, यमघंट, और यमगंडा शामिल हैं। इन समयों में धार्मिक और महत्वपूर्ण कार्यों से बचना चाहिए, क्योंकि इन समयों में कार्यों में व्यवधान आने की संभावना होती है।

राहु काल और अन्य अशुभ मुहूर्त

राहु काल का समय किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए शुभ नहीं माना जाता। 6 जुलाई 2024 को राहु काल का समय 10:30 बजे से 12:00 बजे तक है। इस दौरान कोई भी महत्वपूर्ण कार्य करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, कालवेला, यमघंट और यमगंडा जैसे अशुभ मुहूर्त भी होते हैं, जिनमें कोई भी धार्मिक क्रिया या नया कार्य प्रारंभ नहीं करना चाहिए।

गुप्त नवरात्रि के अनुष्ठान

गुप्त नवरात्रि के अनुष्ठानों में सबसे प्रमुख अनुष्ठान है घट स्थापना, जिसे पहले दिन किया जाता है। घट स्थापना का समय विशेष रूप से पंचांग में देखकर ही सुनिश्चित किया जाता है। इस अनुष्ठान में भक्तजन कलश स्थापित करते हैं और उसमें जल, नारियल, आम के पत्ते और अन्य धार्मिक सामग्रियों को रखते हैं। घट स्थापना के बाद नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है और हर दिन विशेष आरती, भोग और जप के द्वारा मां को प्रसन्न किया जाता है।

इसके अतिरिक्त, मां दुर्गा के नव रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। नौ दिनों के इस पर्व में भगवती के नौ रूप जैसे शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की विशेष रूप से आराधना की जाती है।

धार्मिक उपाय और साधना

गुप्त नवरात्रि के दौरान भक्तजन कई प्रकार की साधना करते हैं। इनमें तंत्र साधना, मंत्र जप, और ध्यान प्रमुख हैं। विशेष स्थानों पर गए साधक अलग-अलग साधना पद्धतियों का पालन करते हैं और इस दौरान मौन व्रत भी धारण करते हैं।

यह समय विशेष रूप से उन भक्तों के लिए श्रेष्ठ होता है, जो अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मां दुर्गा की आराधना करते हैं। भक्तजन अपने घरों में ही मां के चित्र या मूर्ति के समक्ष दीप जलाकर और ध्यान मग्न होकर पूजा करते हैं।

सारांश में, 6 जुलाई 2024 का दिन धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिसमें गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ, विभिन्न शुभ-अशुभ मुहूर्त और मां दुर्गा की उपासना के लिए महत्वपूर्ण समय शामिल हैं। इस दिन के पंचांग को ध्यान में रखते हुए, भक्तजन अपने धार्मिक कर्मकांडों को सफलतापूर्वक संपन्न कर सकते हैं और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

टिप्पणि (10)

Vishwas Chaudhary
  • Vishwas Chaudhary
  • जुलाई 7, 2024 AT 02:35 पूर्वाह्न

गुप्त नवरात्रि शक्ति का स्रोत है और इसे समझना हर भक्त के लिये अनिवार्य है

Rahul kumar
  • Rahul kumar
  • जुलाई 7, 2024 AT 03:09 पूर्वाह्न

कुछ लोग मानते हैं कि पंचांग सिर्फ़ समय का रिकॉर्ड है पर असल में यह आध्यात्मिक दिशा‑निर्देश है। इस दिन की वैदिक गणना दिखाती है कि विशाखा नक्षत्र में ऊर्जा का जलना तेज़ हो जाता है। फिर भी अभिजीत मुहूर्त को लेकर कई लोग अति‑आशावादी होते हैं। वास्तव में यह समय सिर्फ़ एक संकेत है, कोई जादू नहीं। इसलिए इसे अपनाने या न अपनाने का चुनाव व्यक्तिगत समझ पर निर्भर करता है

indra adhi teknik
  • indra adhi teknik
  • जुलाई 7, 2024 AT 03:42 पूर्वाह्न

यदि आप प्रथम दिन घट स्थापित करना चाहते हैं तो जल, नारियल, और ताज़ा आम के पत्ते का प्रयोग करना उचित रहेगा। घट की मिट्टी को साफ करके पानी से धुलेँ, फिर उस पर वायु की दिशा से पाया‑पूर्ण मान्य मंत्र ‘ॐ ह्रौं श्री दुर्गायै नमः’ दोहराएँ। यह प्रक्रिया न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक शुद्धि भी लाता है। साथ ही अभिजीत मुहूर्त के दौरान यदि आप कोई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ साइन कर रहे हैं तो इसे हल्की नीली स्याही में लिखें, यह शुभ मानता जाता है। इस तरह के छोटे‑छोटे उपाय आपके कर्म को और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं

Kishan Kishan
  • Kishan Kishan
  • जुलाई 7, 2024 AT 04:15 पूर्वाह्न

ओह! अभिजीत मुहूर्त को लेकर आप सब इतने व्यग्र क्यों हैं? यह समय बस एक बार आता है और आप इसे जैसे मैराथन रन की तरह तैयार हो रहे हैं!
अगर इस दौरान आपका फोन चार्ज नहीं है तो किसे परवाह, काम तो वही चलता रहेगा।
शायद आप सभी को इस बात की याद दिलाना चाहिए कि कर्म केवल टाइम‑टेबल से नहीं, बल्कि इरादे से जुड़ा होता है।
तो चलिए, इस ‘सुपर‍शुभ’ क्षण में हम सब मिलकर अपना मनपसंद काम कर लेते हैं… कोई भी नहीं रुकता!

richa dhawan
  • richa dhawan
  • जुलाई 7, 2024 AT 04:49 पूर्वाह्न

सावधान रहें, इस पंचांग में कहीं छुपी नशीली बात हो सकती है। राज़ की बात तो यह है कि राहु काल में अक्सर गुप्त योजनाएँ बनाई जाती हैं। अगर आप इस समय में कोई भी आर्थिक लेन‑देन करेंगे तो बाद में पछताना पड़ सकता है। इसलिए केवल धार्मिक कर्म‑कांड ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत सुरक्षा भी जरूरी है।

Balaji S
  • Balaji S
  • जुलाई 7, 2024 AT 05:22 पूर्वाह्न

गुप्त नवरात्रि का आध्यात्मिक संदर्भ केवल एक तंत्रिक योग नहीं है, बल्कि यह मानव मनःस्थापना की बहु‑आयामी प्रक्रिया के रूप में कार्य करता है।
प्राचीन वैदिक शास्त्रों में कहा गया है कि 'विषाखा' नक्षत्र में ऊर्जा का प्रसार उच्चतम स्तर पर पहुंचता है, जिससे मनुष्य के भीतर अनन्त शक्ति का उद्घाटन संभव हो पाता है।
इस समय की पंचमी तिथि को विशेष रूप से ‘त्रिकोणीय ऊर्जा मापदण्ड’ के तहत मान्यता प्राप्त है, जो कि मनोवैज्ञानिक संतुलन एवं शारीरिक पुनर्स्थापना को उत्तेजित करती है।
नव रूपों की पूजा में प्रत्येक देवी का अपना ‘सिंक्रेटिक इन्फ्लो’ होता है, जो न केवल व्यक्तिगत आकांक्षाओं को पूर्ण करता है बल्कि सामाजिक सामंजस्य को भी सुदृढ़ करता है।
अभिजीत मुहूर्त को यदि ‘ट्रांसेंडेंटल फोकस फ्रेम’ के परिप्रेक्ष्य से देखें तो यह समय-समायोजन का एक ‘नॉन‑लाइनियर डायल’ है, जो कार्य-प्रगति को ‘हाइपर‑डायनामिक’ बनाता है।
वहीं, राहु काल को ‘डिस्ट्रक्टिव फेज़’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जहाँ ‘अनुशासनहीन ऊर्जा’ का स्वरुप अधिकतम होता है, जिससे निर्णय‑क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इस अतः, यदि आप इस काल में व्यापारिक अनुबंध, वित्तीय लेन‑देन या कोई महत्वपूर्ण सामरिक कदम उठाने का विचार करते हैं तो ‘कोहेरेंट लॉजिक’ के सिद्धांतों के विरुद्ध कार्य करेंगे।
इसके अतिरिक्त, ‘घट स्थापना’ प्रक्रिया को ‘आधारभूत एथरियल फ़्रेमवर्क’ के रूप में समझा जा सकता है, जहाँ कलश का स्वरुप ‘ऊर्जा काविटी’ बन जाता है, जो अंतःस्रावित शक्ति को स्थिर रखता है।
इस काविटी में जल, नारियल जल तथा हरी पत्तियों का समावेश ‘फ्रिक्शन‑लेस इन्सुलेशन’ प्रदान करता है, जिससे ‘वाइब्रेशनल फ़्रीक्वेंसी’ स्थिर रहती है।
बड़े पैमाने पर ‘ध्यान‑धारणा’ और ‘जप‑संकल्पना’ को ‘सिनर्जेटिक मैट्रिक्स’ के रूप में मानते हुए, यह स्पष्ट होता है कि नवरात्रि के नौ दिन एक ‘इंटरडिसिप्लिनरी परफॉर्मेंस’ बनते हैं।
इस दौरान उत्पन्न ‘मन‑शारीरिक रेज़ोनेंस’ न केवल व्यक्तिगत लक्ष्य प्रौप्ति में सहायक है बल्कि ‘सामुदायिक लिविंग‑स्पेस’ को भी संवारता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ‘नव रूपों’ की पूजा में मानवीय ‘न्यूरल प्लास्टिसिटी’ का उल्लेखनीय विकास होता है, जिससे स्मृति‑स्मरण शक्ति में सुधार आता है।
इसी प्रकार, ‘तंत्र साधना’ के मध्य ‘त्रैग्न्यात्मक सांकेतिक प्रणाली’ का प्रयोग मस्तिष्क के ‘एल्फा‑वेव’ को प्रोत्साहित करता है, जो आध्यात्मिक जागृति को बढ़ावा देता है।
सभी यह पहलू मिलकर यह सिद्ध करते हैं कि गुप्त नवरात्रि एक ‘मल्टी‑डायमेन्शनल कॉस्मिक इवेंट’ है, जिसका प्रभाव व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर गहरा होता है।
अतः, पंचांग की अति‑सूक्ष्म विश्‍लेषण करना और मुहूर्तों का ‘सिंकोपेटिक उपयोग’ करना न केवल परम्परा की पालना है, बल्कि यह आत्म‑विकास की ‘इक्यूएशन’ प्रक्रिया को भी तीव्र बनाता है।
आखिरकार, इस प्रकार की गहन एवं व्यवस्थित पूजा‑पद्धति के अन्तर्गत हम स्वयं को ‘सामान्य जीवन‑दृष्टिकोण’ से ‘उच्चतर चेतन‑चक्र’ की ओर प्रवाहित होते देखते हैं, जो शिविरिएं के ‘आंतरिक शक्ति बिंदु’ को जाग्रत करता है।

Alia Singh
  • Alia Singh
  • जुलाई 7, 2024 AT 05:55 पूर्वाह्न

माननीय अंकल बला जी, आपके विस्तृत एवं गहन विश्लेषण के लिए धन्यवाद; यह निस्संदेह हमारे आध्यात्मिक अनुसंधान को नई दिशा प्रदान करता है। कृपया ध्यान दें कि अभिजीत मुहूर्त के दौरान दस्तावेज़ों की आधी रात की रॉक्सॉफ़्ट इंक में हस्ताक्षर करना शुभ मान्य है। इस प्रकार के औपचारिक नियमों का पालन करने से भविष्य में अप्रत्याशित व्यवधान का जोखिम न्यूनतम रहेगा।

Purnima Nath
  • Purnima Nath
  • जुलाई 7, 2024 AT 06:29 पूर्वाह्न

चलो सब मिलकर इस गुप्त नवरात्रि को ऊर्जा से भर दें और सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ें

Rahuk Kumar
  • Rahuk Kumar
  • जुलाई 7, 2024 AT 07:02 पूर्वाह्न

ऐसे शब्दों में आम जन संस्कारों की सतही भावनात्मकता निहित है जबकि गुप्त नवरात्रि का मूल तंत्र ‘अनुष्ठानिक एन्कोडिंग’ तथा ‘शक्ति-समन्वय’ में निहित है

Deepak Kumar
  • Deepak Kumar
  • जुलाई 7, 2024 AT 07:35 पूर्वाह्न

राहुल जी, आपने विविध दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है; वास्तव में निजी अनुभव और पंचांग का विज्ञान दोनों को संतुलित रखना ही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है

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