नोबेल शांति पुरस्कार – दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित शांति मान्यता

जब नोबेल शांति पुरस्कार, अल्फ्रेड नॉबेल ने 1895 में स्थापित किया, जो अंतरराष्ट्रीय शांति और सहयोग को बढ़ावा देता है. Also known as Nobel Peace Prize, it recognizes individuals or groups that have made outstanding contributions toward ending conflicts and fostering goodwill.

इस सम्मान की जड़ें शांति, सत्रहियों के बीच संघर्ष रहित स्थिर स्थितियों को कहा जाता है से निकली हैं, जो संयुक्त राष्ट्र, वर्ल्ड फ़्रेमवर्क जो वैश्विक शांति और सुरक्षा को संभालता है के लक्ष्य से गहराई से जुड़ी हैं। अक्सर विजेताओं को मानवाधिकार, हर व्यक्ति की बुनियादी स्वतंत्रता और गरिमा में ठोस सुधार दिखाते हुए देखा जाता है। इस तरह पुरस्कार, शांति, राष्ट्र और अधिकारों के बीच जटिल परस्परक्रिया को उजागर करता है।

इसीलिए नोबेल शांति पुरस्कार का इतिहास समझना जरूरी है। 1901 में पहला पुरस्कार दिया गया था, जब अल्फ्रेड नॉबेल ने अपने वसीयत में कहा था कि उनका धन विज्ञान, साहित्य और शांति जैसे क्षेत्रों में प्रगति के लिए उपयोग किया जाए। शुरुआती विजेताओं में फ्रेडरिक बन्यॉस (स्विट्ज़रलैंड) और फ्रेडरिक ओ।श्लिज़िंगर शामिल थे, जिन्होंने यूरोपीय युद्धों को रोकने में मदद की। तब से इस सम्मान ने दो विश्व युद्धों, शीत युद्ध और कई क्षेत्रीय संघर्षों के दौरान शांतिकारी गति को प्रेरित किया है।

विजेता चुनने की प्रक्रिया भी दिलचस्प है। प्रत्येक साल, नॉबेल कमेटी, जो स्वीडन की सबसे भरोसेमंद अकादमी और विश्वविद्यालयों से बनती है, उम्मीदवारों की सूची तैयार करती है। इस सूची को फिर संयुक्त राष्ट्र के शांति विशेषज्ञों और कुछ मौजूदा laureates के साथ मिलकर मूल्यांकन किया जाता है। अंत में पाँच सदस्यों की कमेटी मतदान करके विजेता तय करती है। इस प्रक्रिया में नोबेल शांति पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देता है, विजेता का चयन संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों से परामर्श करके किया जाता है, और विजेताओं को मानवाधिकार में उल्लेखनीय सुधार दिखाना आवश्यक है—ये सभी संबंध इस सम्मान की भरोसेमंदता दर्शाते हैं।

अब तक के कुछ उल्लेखनीय laureates में मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने नस्लीय असमानता के खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन चलाया, मदर टेरेसा ने गरीबों की देखभाल की, और मलाला यूसुफ़ज़ई ने लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए आवाज़ उठाई। इन सबका काम शांति को केवल युद्ध-रहित स्थिति नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता और बुनियादी मानवाधिकारों के साथ जोड़ता है। यही कारण है कि पुरस्कार का दायरा खेल, राजनीति, विज्ञान या धर्म तक सीमित नहीं रहता; बल्कि यह हर उस प्रयास को मान्यता देता है जो विश्व को बेहतर बनाता है।

बिल्कुल, इस सम्मान को कभी‑कभी विवाद का सामना भी करना पड़ता है। कुछ आलोचक कहते हैं कि कुछ विजेता राजनीतिक कारणों से चुने गये, जबकि कुछ चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। फिर भी, इन बहसों ने नॉबेल शांति पुरस्कार को हमेशा प्रासंगिक बनाए रखा है, क्योंकि यह लगातार सवाल उठाता रहता है कि शांति को कैसे मापा और जमा किया जाए।

अब आप आगे आने वाले लेखों में देखेंगे कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों—खेल, राजनीति, विज्ञान या सामाजिक आंदोलन—में जुड़ाव ने इस पुरस्कार की कथा को समृद्ध किया है। इन कहानियों में हम उन व्यक्तियों और समूहों के संघर्ष, उपलब्धि और प्रेरणादायक कदमों को विस्तार से पढ़ेंगे, जो इस प्रतिष्ठित सम्मान से जुड़े हैं।

मैरी कोरीना मैडुरो को 2025 नोबेल शांति पुरस्कार, वेनेज़ुएला लोकतंत्र का प्रतीक

मैरी कोरीना मैडुरो को 2025 नोबेल शांति पुरस्कार मिला, जिससे वेनेज़ुएला में लोकतंत्र के संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली। पुरस्कार का असर राष्ट्रीय और वैश्विक राजनीति पर पड़ेगा।

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