जब हम मौसम पूर्वानुमान, भविष्य के मौसम की स्थिति जैसे तापमान, वर्षा, हवा की गति और दबाव का अनुमान की बात करते हैं, तो सबसे पहले दिमाग में भारत मौसम विभाग, राष्ट्र स्तर पर मौसम का निरीक्षण और चेतावनी जारी करने वाला सरकारी संगठन आता है। इसी तरह ऑरेंज अलर्ट, भारी बारिश, तेज़ हवाओं या बाढ़ का खतरा संकेत देने वाला चेतावनी स्तर भी मौसम पूर्वानुमान से जुड़ा एक मुख्य तत्व है, क्योंकि यह लोगों को समय पर सतर्क करता है। इस पेज पर हम इन प्रमुख घटकों और उनके दैनिक जीवन में असर को विस्तार से देखेंगे।
मौसम पूर्वानुमान तीन मुख्य भागों में बँटा होता है – वर्षा दर, तापमान रेंज और हवा की गति. इन तीनों को मिलाकर ही हम यह तय कर पाते हैं कि आज घर से बाहर निकलना चाहिए या नहीं, खेती में कौन-सा बीज बोना सुरक्षित रहेगा, या फिर यात्रा की योजना कैसे बनानी चाहिए।
भारत में हर राज्य का अपने जलभण्डार स्तरों से सीधा संबंध होता है। जब बारिश का अनुमान उच्च होता है, तो जलभण्डार जैसे सरदार सरोवर, जलाशय‑अभिसरणी स्तर जल्दी भरते हैं, जिससे जल संकट कम होता है। वहीं, अगर पूर्वानुमान में कमी दिखती है, तो नियोजित जल प्रबंधन रणनीतियों को सक्रिय करना पड़ता है।
ऐसे में भारत मौसम विभाग द्वारा जारी किए जाने वाले ऑरेंज अलर्ट या रेड अलर्ट का महत्व समझ में आता है। अलर्ट स्तर जितना उच्च होगा, उतनी ही तेज़ कार्रवाई की जरूरत होती है – स्कूल बंद, सड़क बंदी, बाढ़ बचाव टीम की तैनाती आदि। हमारे कई लेखों में हमने गुजरात, झारखंड और दिल्ली के हालिया अलर्ट केस स्टडी शामिल किए हैं, जहाँ अलर्ट ने नुकसान को काफी हद तक कम किया।
बुंदेलखण्ड, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे शुष्क क्षेत्रों में सूखा चेतावनी भी पूर्वानुमान का अहम हिस्सा है। यह सूचकांक किसानों को समय पर फसल बदलने या सिंचाई विधियों को अनुकूलित करने का संकेत देता है। हमारी रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 में राजस्थान में पूर्वानुमानित सूखा ने कैसे जल संरक्षण योजनाओं को तेज़ किया।
एक और दिलचस्प बात यह है कि मौसम पूर्वानुमान का प्रयोग सिर्फ व्यक्तिगत योजना तक सीमित नहीं है। सरकारी योजना जैसे पर्यटन प्रोमोशन, किसान बीमा, और प्राकृतिक आपदा राहत योजना भी इस डेटा पर निर्भर करती हैं। इसलिए, सही और विश्वसनीय पूर्वानुमान सार्वजनिक नीति के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है।
अब बात करते हैं तकनीकी पहलू की। सैटेलाइट इमेजिंग और रेडार तकनीक ने मौसम मॉडलिंग को सटीक बनाया है। इन तकनीकों से हवा की दिशा, बादल निर्माण और वर्षा तीव्रता का अधिक पूर्वानुमान संभव हुआ है। हमारे लेखों में उल्लेखित है कि कैसे इंटीग्रेटेड रेफ्लेक्सियल इमेजिंग ने गुजरात में ऑरेंज अलर्ट की टाइमलाइन को 2 घंटे आगे ले जाया।
ऐसे में पाठकों के लिए सबसे उपयोगी टिप्स क्या हो सकते हैं? सबसे पहले, अपने स्थानीय मौसम स्टेशन या भरोसेमंद ऐप से रोज़ाना अलर्ट लेवल की जाँच करें। दूसरा, अगर आप किसान हैं तो जलभण्डार स्तर और वर्षा प्रतिशत को निकटता से मॉनिटर करें, क्योंकि यह फसल चयन में निर्णायक हो सकता है। तीसरा, गृहस्थी के लिए, तेज़ हवाओं या बाढ़ के समय घर की सुरक्षा उपायों को तैयार रखें – जैसे बाहर के सामान को सुरक्षित जगह पर रखना, जमे हुए पाथर को हटाना आदि।
हमारे संग्रहित लेखों में आपकोआधुनिक मौसम मॉडल, कम्प्यूटेशनल विधियों पर आधारित भविष्यवाणी तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी, साथ ही स्थानीय अलर्ट प्रणाली, राज्य‑स्तर पर जारी अलर्ट और उनके डिटेलेड ग्राफ़ पर भी विश्लेषण है। इन लेखों को पढ़कर आप सिर्फ़ समाचार नहीं, बल्कि कार्य‑उपयोगी ज्ञान भी हासिल करेंगे।
अगले सेक्शन में आप देखेंगे कि विभिन्न राज्यों में हालिया मौसम घटनाओं का कैसे विश्लेषण किया गया, किन कारकों ने अलर्ट को ट्रिगर किया और किस प्रकार की सटीकता से भविष्यवाणी हुई। चाहे आप किसान हों, यात्रा‑प्रेमी, या बस रोज़मर्रा की योजना बनाते हों, यहाँ की जानकारी आपके निर्णय को मजबूत बनाएगी।
तो चलिए, नीचे दी गई सूची में डुबकी लगाते हैं और जानते हैं कि इस हफ़्ते के मौसम पूर्वानुमान में कौन‑सी खबरें आपके लिए सबसे ज़्यादा रोचक होंगी।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने राजस्थान के पाँच जिलों में इस सप्ताह तीव्र बरसात के कारण गंभीर बाढ़ की संभावना जताई है। अधिकारियों ने स्थानीय प्रशासन को समय पर तैयारियां करने और जनसंख्या को सतर्क करने का निर्देश दिया है।