डेटा प्राइवेसी: रोज़मर्रा के लिए आसान और असरदार उपाय

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके फोन और ब्राउज़र पर कितनी निजी जानकारी रहती है? अक्सर हम छोटी‑छोटी सेटिंग्स छोड़ देते हैं और बाद में समस्याएँ सामने आती हैं। यहां सीधे और व्यावहारिक तरीके दिए गए हैं जिनसे आप तुरंत अपनी प्राइवेसी बेहतर कर सकते हैं।

फौरन लागू करने वाले सुरक्षा कदम

ऐप परमिशन चेक करें: हर महीने फोन की सेटिंग में जाकर ऐप्स की परमिशन देखें। कैमरा, माइक्रोफोन और लोकेशन केवल उन्हीं ऐप्स को दें जिन्हें सच में जरूरत है।

मजबूत पासवर्ड और पासवर्ड मैनेजर: हर अकाउंट के लिए अलग और लंबा पासवर्ड रखें। पासवर्ड मैनेजर (जैसे Bitwarden, 1Password) का इस्तेमाल करें ताकि याद रखने की चिंता न रहे।

दो‑स्तरीय प्रमाणिकरण (2FA): बैंक और ईमेल जैसे महत्वपूर्ण अकाउंट्स में 2FA जरूर ऑन करें। SMS से बेहतर है ऑथेंटिकेटर ऐप या हार्डवेर टोकन।

डिवाइस एन्क्रिप्शन और ऑटो‑लॉक: फोन और लैपटॉप पर एन्क्रिप्शन चालू रखें और स्क्रीन लॉक टाइम घटाएँ। खोने पर डेटा सुरक्षित रहेगा।

ऑनलाइन आदतें जो फर्क डालती हैं

पब्लिक Wi‑Fi पर सावधान रहें: पब्लिक वाई‑फाई पर बैंकिंग या संवेदनशील काम न करें। जरुरी हो तो VPN इस्तेमाल करें।

लिंक्स और अटैचमेंट पर ध्यान दें: अनजान ईमेल/मैसेज में लिंक या फ़ाइल खोलने से पहले सोचें। फिशिंग आम है — URL और भेजने वाले का ईमेल ध्यान से देखें।

ब्राउज़र प्राइवेसी सेटिंग्स: कुकीज़ और ट्रैकर ब्लॉक करने वाले एक्सटेंशन (उदा. uBlock, Privacy Badger) लगाएं। ब्राउज़र की प्राइवेसी मोड और पासवर्ड सेविंग सेटिंग्स भी जांचें।

सामाजिक मीडिया पर सीमाएँ लगाएं: पोस्ट सार्वजनिक न रखें, लोकेशन शेयरिंग बंद करें और पुराने पोस्ट‑फोटो हटाते रहें। अकाउंट्स की गोपनीयता सेटिंग्स समय‑समय पर रिव्यू करें।

पुराने अकाउंट डिलीट करें: जिन सेवाओं का उपयोग नहीं करते, उन्हें डिलीट कर दें। यह क्लीनअप आपको अनावश्यक डेटा रिक्स से बचाता है।

डेटा बैकअप और रीस्टोर: बैकअप का पासवर्ड सुरक्षित रखें और संवेदनशील बैकअप को एन्क्रिप्टेड रखें।

किसे शिकायत करें और आपके अधिकार क्या हैं?

भारत में Digital Personal Data Protection (DPDP) जैसे कानूनों ने कुछ अधिकार दिए हैं — आपकी सहमति, डेटा सुधार का अधिकार, और कंपनियों से शिकायत का अधिकार। किसी कंपनी से शिकायत करने से पहले उनकी प्राइवेसी नीति और ग्रिवांस ऑफीसर देखें। समस्या न सुलझे तो संबंधित नियामक या डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड से संपर्क किया जा सकता है।

छोटी‑छोटी आदतें और नियमित जाँच ही आपको बड़ा फायदा देंगी। हर महीने 10–15 मिनट निकालकर सेटिंग्स चेक कर लें — इससे आप निजी डेटा के रिस्क को बहुत घटा सकते हैं। क्या आप तैयार हैं अपनी प्राइवेसी पर थोड़ा ध्यान देने के लिए?

फ़्रांसिसी एयरपोर्ट पर Telegram के CEO पावेल डुकोव की गिरफ़्तारी

फ़्रांसिसी एयरपोर्ट पर Telegram के सीईओ पावेल डुकोव की गिरफ़्तारी एक अंतरराष्ट्रीय वॉरेंट के तहत की गई। डुकोव, जो प्राइवेसी के प्रबल समर्थक रहे हैं, की गिरफ़्तारी ने तकनीकी जगत में हड़कंप मचा दिया है।

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